
गुवाहाटी। असम में मिया मुस्लिम समुदाय के लिए विधानसभा सीटों में आरक्षण की मांग को लेकर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस से जुड़े एक नेता द्वारा 126 सदस्यीय विधानसभा में 48 सीटें मिया मुस्लिमों के लिए आरक्षित करने की मांग सामने आने के बाद सत्तारूढ़ भाजपा ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। भाजपा ने इसे स्वदेशी समुदायों के हितों के खिलाफ बताते हुए कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
असम प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता कमल कुमार मेधी ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह मांग राज्य की सामाजिक संरचना और स्वदेशी पहचान को कमजोर करने का प्रयास है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस इस तरह की मांगों के जरिए तुष्टिकरण की राजनीति को बढ़ावा दे रही है और खतरनाक वैचारिक दिशा में आगे बढ़ रही है।
भाजपा प्रवक्ता के अनुसार, यह विवाद कांग्रेस के प्रवक्ता एवं एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव मोहसिन खान के एक बयान से शुरू हुआ, जिसमें कथित तौर पर मिया मुस्लिम समुदाय के लिए 48 विधानसभा सीटें आरक्षित करने की मांग की गई थी। मेधी ने इस बयान को गैर-जिम्मेदाराना और अत्यंत चिंताजनक करार दिया।
कांग्रेस की चुप्पी पर सवाल
भाजपा ने इस मुद्दे पर कांग्रेस नेतृत्व की चुप्पी को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं। कमल कुमार मेधी ने कहा कि न तो असम प्रदेश कांग्रेस और न ही एनएसयूआई के राष्ट्रीय नेतृत्व ने इस बयान से खुद को अलग किया है और न ही इसकी सार्वजनिक रूप से निंदा की है। उन्होंने इसे कांग्रेस की “मौन स्वीकृति” बताया।
पुराने विवादों का हवाला
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की मांग सामने आई हो। उन्होंने दावा किया कि इससे पहले भी कांग्रेस से जुड़े कुछ नेताओं द्वारा मिया मुस्लिमों के लिए सीट आरक्षण, अलग स्वायत्त परिषद और तथाकथित ‘मियालैंड’ जैसे मुद्दे उठाए जा चुके हैं। भाजपा का आरोप है कि यह एक सुनियोजित राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा है।
बीजेपी का कड़ा रुख
भाजपा ने स्पष्ट किया है कि वह इस तरह की किसी भी मांग का पुरजोर विरोध करेगी। पार्टी का कहना है कि असम की सामाजिक एकता, स्वदेशी पहचान और संवैधानिक व्यवस्था के साथ किसी भी तरह का समझौता स्वीकार नहीं किया जाएगा।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है और आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासी बयानबाजी और तेज होने की संभावना जताई जा रही है।