
हाथरस। उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में बाजरा खरीद केंद्रों पर किसानों को हो रही भारी परेशानी को लेकर राज्यसभा सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रामजीलाल सुमन ने कड़ा एतराज जताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि टोकन और पंजीकरण के बावजूद किसान कई दिनों से बाजरा बेचने के लिए भटक रहे हैं, जबकि बिचौलियों और व्यापारियों का बाजरा प्राथमिकता के आधार पर खरीदा जा रहा है।
सरकार द्वारा बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2775 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया गया है और मंडी समिति में क्रय केंद्र भी स्थापित किए गए हैं। गुरुवार को सांसद रामजीलाल सुमन जब मंडी समिति स्थित बाजरा खरीद केंद्र का निरीक्षण करने पहुंचे, तो वहां की अव्यवस्थाएं देखकर अधिकारी और कर्मचारी असहज हो गए।
निरीक्षण के दौरान सांसद ने किसानों से संवाद किया, जिसमें किसानों ने बताया कि वे कई दिनों से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में बाजरा लेकर केंद्र के बाहर खड़े हैं। पंजीकरण और टोकन मिलने के बावजूद उनका बाजरा नहीं खरीदा जा रहा है। मौके पर यह भी सामने आया कि क्रय केंद्र प्रभारी अनुपस्थित हैं।
केंद्र प्रभारी को लगाई फटकार
राज्यसभा सांसद ने दूरभाष पर केंद्र प्रभारी से बातचीत कर उन्हें आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि आपके केंद्र पर लगभग दो दर्जन ट्रैक्टर-ट्रॉलियां खड़ी हैं, फिर भी किसानों का बाजरा नहीं खरीदा जा रहा, जबकि भरतपुर का बाजरा यहां खरीदा जा रहा है और सादाबाद के किसान परेशान हैं। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि यदि ऐसा ही है तो “इंग्लैंड से ही बाजरा मंगा लीजिए।”
जब केंद्र प्रभारी संतोषजनक जवाब नहीं दे सके, तो सांसद ने उच्च अधिकारियों से बात कर तत्काल व्यवस्था सुधारने और टोकनधारी किसानों का बाजरा खरीदने के निर्देश दिलवाए।
बिचौलियों से मिलीभगत का आरोप
रामजीलाल सुमन ने अधिकारियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि क्रय केंद्र का लक्ष्य पूरा हो चुका था, तो किसानों का पंजीकरण क्यों किया गया। यह जानकारी पहले ही सार्वजनिक होनी चाहिए थी। क्रय केंद्र की स्थिति देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारी बिचौलियों से मिले हुए हैं।
एमएसपी का लाभ नहीं मिल पा रहा किसानों को
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य तो घोषित कर दिया है, लेकिन जमीनी स्तर पर किसान उसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं। क्रय केंद्रों पर किसानों का शोषण हो रहा है और व्यापारी पहले लाभ उठा रहे हैं, जिससे सरकार की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं।