
मथुरा: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने समाज कल्याण विभाग में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के मामले में बड़ी कार्रवाई की है। मथुरा में तैनात तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी को बर्खास्त कर दिया गया है। उनके खिलाफ 19.25 करोड़ रुपये की वसूली का आदेश भी जारी किया गया है। इस कार्रवाई से पूरे प्रदेश में हलचल मच गई है।
छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति में गड़बड़ी
करुणेश त्रिपाठी पर आरोप है कि उन्होंने छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति योजनाओं में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की। मथुरा के कई गैर-मान्यता प्राप्त निजी आईटीआई संस्थानों को अनियमित रूप से धनराशि जारी की गई। जांच में पता चला कि इन संस्थानों ने 2 वर्ष से 51 वर्ष तक की उम्र के लोगों को फर्जी दाखिला दिखाकर छात्रवृत्ति हड़पी। कुल 11 ऐसे संस्थानों को 2.53 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।
मंत्री की निगरानी में जांच और कार्रवाई
समाज कल्याण विभाग ने चार वर्तमान अधिकारियों को बर्खास्त और तीन रिटायर्ड अधिकारियों की पेंशन में कटौती का आदेश दिया है। समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने बताया कि भ्रष्टाचार के लंबित मामलों की जांच कर कार्रवाई की गई। विभाग ने सभी मामलों में केस दर्ज करने और सरकारी धन की वसूली का निर्देश भी दिया।
घोटाले में कुल 66 आरोपी
इस घोटाले में 66 लोगों को आरोपी बनाया गया, जिसमें करुणेश त्रिपाठी, सहायक विकास अधिकारी राहुल कुमार, वरिष्ठ लिपिक नवीन मल्होत्रा, लिपिक योगेश कुमार और 62 आईटीआई संस्थानों के प्रबंधक शामिल हैं। आरोप है कि 2015-16 से 2019-20 तक इन सभी ने छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति राशि का गबन किया।
विधायक की शिकायत से हुआ पर्दाफाश
मामला बलदेव विधानसभा के विधायक पूरन प्रकाश की शिकायत पर उजागर हुआ। उन्होंने 2019 में शासन को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी। इस शिकायत के आधार पर EOW ने 130 शिक्षण संस्थानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
सरकार का सख्त संदेश
योगी सरकार ने साफ कर दिया है कि भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारी बख्शे नहीं जाएंगे। करुणेश त्रिपाठी की बर्खास्तगी और करोड़ों रुपये की वसूली इसका स्पष्ट उदाहरण है। विभागीय और कानूनी कार्रवाई से यह संदेश दिया गया कि जनता की योजनाओं में गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।