
ग्रेटर नोएडा: वर्ष 2015 के मोहम्मद अखलाक मॉब लिंचिंग कांड में न्यायिक प्रक्रिया एक बार फिर सुर्खियों में है। मंगलवार को सूरजपुर स्थित फास्ट ट्रैक कोर्ट में हुई सुनवाई में अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मुकदमा वापस लेने की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिका को आधारहीन और महत्वहीन बताया और मामले की अगली सुनवाई के लिए 6 जनवरी 2026 की तारीख तय की।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से यह याचिका सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) द्वारा दायर की गई थी। याचिका में दावा किया गया था कि सामाजिक सद्भाव बनाए रखने के उद्देश्य से इस मुकदमे को वापस लेने की अनुमति दी जाए। जानकारी के अनुसार, न्याय विभाग-5 (फौजदारी), लखनऊ ने 26 अगस्त को इस मामले को वापस लेने का आदेश दिया था। इसके बाद 12 सितंबर को गौतमबुद्ध नगर के संयुक्त अभियोजन निदेशक ने जिला सरकारी वकील को कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए।
अखलाक मॉब लिंचिंग मामले का संक्षिप्त विवरण
28 सितंबर 2015 की रात, ग्रेटर नोएडा के बिसाहड़ा गांव में अफवाहों के कारण भीड़ ने मोहम्मद अखलाक के घर पर हमला किया। आरोप है कि मंदिर से की गई घोषणा के जरिए अफवाह फैलाई गई कि अखलाक के परिवार ने गाय का वध किया है। इसके बाद भीड़ ने अखलाक को बाहर घसीटकर पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी, जबकि उनके बेटे दानिश गंभीर रूप से घायल हुए।
अब तक की कानूनी स्थिति
शुरुआती जांच में पुलिस ने 10 नामजद और कई अज्ञात आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया था। बाद में आरोपियों की संख्या बढ़कर 18 हुई, जिसमें तीन नाबालिग शामिल थे। दो आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है, जबकि बाकी सभी आरोपी जमानत पर हैं। चार्जशीट दिसंबर 2015 में दाखिल हुई थी, लेकिन मुकदमे की नियमित सुनवाई फरवरी 2021 में ही शुरू हो सकी। कोविड-19 महामारी और प्रशासनिक कारणों से केस लंबित रहा।