
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश के पॉश इलाके राजनगर में साइबर अपराधियों ने एक बुजुर्ग दंपत्ति को 12 दिनों तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखकर 2 करोड़ 86 लाख 62 हजार रुपए की ठगी कर दी। ठगों ने दंपत्ति को डर और मानसिक दबाव में रखकर उनकी जीवनभर की जमा पूंजी हड़प ली।
पीड़ित बुजुर्ग के अनुसार, यह ठगी 13 नवंबर को उनके लैंडलाइन नंबर पर एक कॉल के माध्यम से शुरू हुई। कॉल करने वाली महिला ने खुद को टेलीफोन कंपनी की कर्मचारी बताया और कहा कि उनके नाम से मुंबई में एक अवैध सिम कार्ड चल रहा है। इसके बाद ठगों ने खुद को सीबीआई का डिप्टी एसपी और सरकारी वकील बताकर दंपत्ति को मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोपों में फंसने का डर दिखाया।
14 से 26 नवंबर तक ठगों ने दंपत्ति को हर कुछ घंटों में वीडियो कॉल के जरिए उपस्थिति दर्ज करवाई और पूरी कार्रवाई को गोपनीय जांच बताते हुए किसी से भी बात करने से मना किया। डर और सामाजिक बदनामी के भय से बुजुर्ग दंपत्ति ने अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट और म्युचुअल फंड तोड़कर पैसा ठगों के बताए फर्जी आरबीआई एस्क्रो अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया।
6 दिसंबर को जब ठगी का एहसास हुआ, तो दंपत्ति ने गाजियाबाद साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
गाजियाबाद पुलिस ने जनता को चेतावनी दी है कि कोई भी जांच एजेंसी वीडियो कॉल के जरिए गिरफ्तारी, पूछताछ या पैसों की मांग नहीं करती। पुलिस वर्तमान में बैंक खातों, कॉल डिटेल रिकॉर्ड और डिजिटल ट्रेल के आधार पर आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है।
यह मामला साइबर ठगी की नई तकनीक और डिजिटल धोखाधड़ी के खतरों को उजागर करता है और लोगों के लिए चेतावनी है कि वे फोन या ऑनलाइन कॉल्स पर तत्काल विश्वास न करें।