
पटना। बिहार की राजनीति में 2024-25 में प्रमुख दलों की फंडिंग में गजब का उछाल देखने को मिला है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जदयू और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास) को इस अवधि में भारी चंदा मिला। चुनावी ट्रस्टों और निजी दानदाताओं के योगदान ने दोनों दलों की चुनावी ताकत को और बढ़ा दिया है।
सूत्रों के अनुसार, जदयू को 2024-25 में कुल 18.69 करोड़ रुपए मिले, जो 2023-24 की तुलना में 932 प्रतिशत अधिक है। वहीं, एलजेपी (रामविलास) को इसी अवधि में 11 करोड़ रुपए से अधिक का चंदा प्राप्त हुआ, जो पिछले वर्ष के 11.67 लाख रुपए की तुलना में लगभग 9,403 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
जेडीयू को कुल 66 संस्थाओं से चंदा मिला, जिसमें चुनावी ट्रस्टों का सबसे बड़ा योगदान रहा। प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट से 10 करोड़, प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से 5 करोड़ और समाज इलेक्टोरल ट्रस्ट एसोसिएशन से 2 करोड़ रुपए प्राप्त हुए। इसके अलावा, उर्मिला इंटरनेशनल सर्विसेज, सोना बिस्कुट, नटराज आयरन एंड इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियों ने भी योगदान दिया।
एलजेपी (रामविलास) के लिए भी चुनावी ट्रस्टों ने बड़ी भूमिका निभाई। प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट से 10 करोड़ और प्रूडेंट ट्रस्ट से 1 करोड़ रुपए प्राप्त हुए। पार्टी सूत्रों के अनुसार, कुल 11 करोड़ रुपए का चंदा किसी भी राष्ट्रीय दल के लिए महत्वपूर्ण माना जा सकता है।
विशेष रूप से चुनावी बांड योजना रद्द होने के बाद, दोनों दलों को कॉरपोरेट ट्रस्टों से मिलने वाला चंदा तीन गुना बढ़कर 3,811 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। भाजपा की फंडिंग में भी 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई और यह बढ़कर 6,088 करोड़ रुपए हो गया, जबकि कांग्रेस को मिलने वाला चंदा घटकर 522 करोड़ रुपए रह गया।
राजनीतिक विश्लेषक इसे आगामी चुनावी रणनीतियों और गठबंधन राजनीति के लिए महत्वपूर्ण संकेत बता रहे हैं। जदयू और एलजेपी (रामविलास) दोनों ही एनडीए के प्रमुख सहयोगी दल हैं और चुनावी वर्ष में मिली यह मोटी फंडिंग उनकी ताकत और संभावित रणनीतियों को मजबूत करती है।