
नई दिल्ली।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का विकास तेजी से हो रहा है और 2026 में इसका प्रभाव और भी अधिक दिखेगा। हालांकि, हालिया रिपोर्ट में छह ऐसी भविष्यवाणियां सामने आई हैं, जो न सिर्फ हमारी प्राइवेसी बल्कि नौकरियों, निवेश और सामाजिक तंत्र पर भी असर डाल सकती हैं। अमेरिकी मैगजीन वायर्ड ने इन भविष्यवाणियों का विश्लेषण किया है।
1. AI का विकास धीमा पड़ सकता है
दुनिया भर में डेटा सेंटर बनाने के खिलाफ विरोध बढ़ रहा है। अमेरिका में सोशल मीडिया पर लोग विरोध कर रहे हैं, जबकि चीन और रूस गलत जानकारी फैला सकते हैं। इससे डेटा सेंटर के निर्माण में रुकावट आएगी और AI का विकास धीमा पड़ सकता है। गलत जानकारी और फेक वीडियो अंतरराष्ट्रीय टेंशन भी बढ़ा सकते हैं।
2. घर में रोबोट्स को लाना अब भी चुनौती
2026 में टेक कॉन्फ्रेंस में AI वाले रोबोट्स चर्चा का केंद्र होंगे। गूगल जैसे ब्रांड रोबोट्स को घर के काम सिखा रहे हैं—जैसे कपड़े फोल्ड करना, कचरा अलग करना। हालांकि, घर में इस्तेमाल के लिए अभी टेस्टिंग जरूरी है, क्योंकि गलती से नुकसान हो सकता है।
3. AI में निवेश का बुलबुला फूट सकता है
AI कंपनियों में निवेश तेज़ी से बढ़ा है। 2026 में इस क्षेत्र में सुस्ती आ सकती है। ओपनएआई जैसी कंपनियों में छंटनी की संभावना है। गलत समय पर शेयर बाजार में निवेश से नुकसान हो सकता है।
4. कर्मचारियों की निगरानी से AI को ट्रेनिंग
कंपनियां कर्मचारियों के कंप्यूटर पर निगरानी कर AI ट्रेनिंग के लिए डेटा इकट्ठा कर सकती हैं। इससे नौकरियों पर खतरा बढ़ेगा और गलती से निजी जानकारी लीक हो सकती है। कार्यकर्ता अधिकार वाले लोग इसे गंभीर समस्या मानते हैं।
5. AI से प्राइवेसी का खतरा
2025 में माइक ऑन वाले गैजेट्स फ्लॉप हुए, लेकिन मीटिंग नोट्स बनाने वाले AI सॉफ्टवेयर लोकप्रिय हुए। 2026 में यह बिना रिकॉर्डिंग बताए भी डेटा प्रोसेस कर सकता है, जिससे प्राइवेसी पर बड़ा सवाल उठ सकता है। कानून और नैतिकता की बहस तेज होगी।
6. दुर्घटनाओं का खतरा
अमेरिका में AI से लैस रोबोट टैक्सी सर्विस बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि कंप्यूटर की गलती से दुर्घटना की संभावना है, हालांकि आंकड़े कम दुर्घटनाओं का संकेत देते हैं। फिर भी, बड़े पैमाने पर संचालन में जोखिम बना रहेगा।
निष्कर्ष
2026 में AI का प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र में दिखेगा। हालांकि यह तकनीक सुविधा और दक्षता बढ़ा सकती है, लेकिन इसके गलत उपयोग और निगरानी की बढ़ती ताकत से प्राइवेसी, नौकरियों और सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर AI को नियंत्रित करने और इसके नैतिक उपयोग पर ध्यान देना जरूरी होगा।