Monday, December 22

चीन सीमा के पास तवांग में जन्मीं तेनजिन यांगकी बनीं अरुणाचल की पहली महिला आईपीएस, दादा से प्रेरित होकर रचा इतिहास

 

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पूर्वोत्तर की तवांग जिले की तेनजिन यांगकी ने भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में शामिल होकर अरुणाचल प्रदेश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी बनकर इतिहास रच दिया है। उनका यह सफर दृढ़ संकल्प, अनुशासन और देशसेवा की विरासत का प्रमाण है, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर सभी का ध्यान आकर्षित किया।

दादा और परिवार से मिली प्रेरणा
तेनजिन यांगकी का जन्म तवांग में हुआ, जो भारत-चीन सीमा के निकट और अपने बड़े तवांग मठ के लिए जाना जाता है। उनके दादा स्वर्गीय न्येरपा खो तवांग में राजनीतिक सहायक के रूप में कार्यरत थे और क्षेत्र में प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। उनके माता-पिता भी प्रशासनिक सेवा में थे; पिता थुप्टेन टेम्पा पूर्व IAS अधिकारी और पूर्व मंत्री, जबकि माता जिग्मी चोडेन ने अरुणाचल प्रदेश सरकार में सचिव के पद पर कार्य किया। यांगकी को परिवार से ही सार्वजनिक सेवा का जज्बा मिला।

शिक्षा और करियर का सफर
तेनजिन यांगकी ने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अंडर ग्रेजुएट किया और फिर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से अंतर्राष्ट्रीय संबंध में एमए व एमफिल की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने 2017 में अरुणाचल प्रदेश की APPSC परीक्षा उत्तीर्ण की और सियांग जिले में सर्किल अधिकारी के रूप में कार्य किया। 2022 की UPSC सिविल सेवा परीक्षा में उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर 545वीं रैंक हासिल की।

राष्ट्रीय स्तर पर सराहना
तेनजिन की इस उपलब्धि को उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने सोशल मीडिया पर ‘MondayMotivation’ बताया। उन्होंने लिखा, “एक शिक्षाविद, एक सिविल सेवक और अब एक आईपीएस अधिकारी, वह अपने माता-पिता की सेवा की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। प्रथम होना कभी आसान नहीं होता, लेकिन दूसरे आपका अनुसरण करेंगे।” अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने भी तेनजिन को ‘नारी शक्ति’ का उदाहरण बताया।

महिला सशक्तिकरण का प्रतीक
तेनजिन यांगकी की यह उपलब्धि न केवल अरुणाचल प्रदेश बल्कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र की महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका सफर यह साबित करता है कि दृढ़ इच्छाशक्ति, अनुशासन और समाज सेवा की प्रेरणा से किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है।

यह उपलब्धि पूर्वोत्तर क्षेत्र की महिलाओं के लिए राष्ट्रीय नेतृत्व की भूमिकाओं में प्रतिनिधित्व बढ़ाने का ऐतिहासिक क्षण है।

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