
बिहार में इस बार राज्यसभा की पांच सीटें खाली हो रही हैं, और राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि इन सीटों पर कौन राज्यसभा पहुंचेगा। बीजेपी की ओर से भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार पवन सिंह का नाम भी चर्चा में है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक सवाल उठा रहे हैं कि पवन सिंह को राज्यसभा भेजकर क्या बीजेपी अपना ‘AP वाला’ यानी अगड़ा-पिछड़ा समीकरण बिगाड़ देगी।
राज्यसभा के खाली होने वाले पांच सदस्य
2026 में बिहार की पांच राज्यसभा सीटें खाली हो रही हैं। इनमें शामिल हैं:
- राजद: प्रेम चंद गुप्ता और एडी सिंह
- जदयू: हरिवंश नारायण (राज्यसभा सभापति) और रामनाथ ठाकुर (प्रधानमंत्री के मंत्रिमंडल में)
- राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोपा): उपेंद्र कुशवाहा
जदयू दोनों नेताओं को पुनः राज्यसभा भेजना चाहती है ताकि सवर्ण और पिछड़ा वर्ग का संतुलन बना रहे।
एक सीट लोजपा (आर) के लिए तय
2025 विधानसभा चुनाव में लोजपा (आर) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने राज्यसभा की एक सीट मांगी थी। संभावना है कि वह अपनी मां रीना पासवान को भेजना चाहेंगे।
बीजेपी की दो संभावित सीटें
बीजेपी के पास इस बार दो राज्यसभा सीटें हैं। एक नाम तय है: भाजपा कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन। दूसरी सीट को लेकर चर्चा में पवन सिंह का नाम है। माना जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा इस बार रिपीट नहीं होंगे।
पवन सिंह और राजनीतिक समीकरण
पवन सिंह ने 2025 विधानसभा चुनाव में बीजेपी का प्रचार किया था और संभव है कि पार्टी उन्हें इसका पुरस्कार दे। लेकिन राजनीतिक गलियारों में सवाल उठ रहा है कि क्या इससे अगड़ा-पिछड़ा संतुलन प्रभावित होगा। बीजेपी रणनीतिक रूप से सवर्ण और पिछड़ा वर्ग का संतुलन बनाकर चलती आई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पवन सिंह के राज्यसभा भेजे जाने पर राजनीतिक समीकरण चुनौतीपूर्ण हो सकता है। संभावना है कि ओबीसी उम्मीदवार को भेजकर पार्टी संतुलन बनाए रखेगी। वहीं, अतिपिछड़ा वर्ग भी इस बार महत्वपूर्ण दावेदार के रूप में उभर सकता है।
राजनीति में हमेशा कुछ भी संभव है, और जीत के उन्माद में बीजेपी लीक से हटकर कदम उठा सकती है।