
रोज़गार की तलाश में घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर केरल गया छत्तीसगढ़ का एक मजदूर गलतफहमी का शिकार होकर भीड़ हिंसा में अपनी जान गंवा बैठा। केरल के पलक्कड़ जिले में चोरी के शक में भीड़ ने 31 वर्षीय रामनारायण बघेल को पीट-पीटकर मार डाला। इस दिल दहला देने वाली घटना ने एक बार फिर भीड़तंत्र की क्रूरता और गरीब मजदूरों की असुरक्षा को उजागर कर दिया है।
मृतक रामनारायण बघेल छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के करही गांव का रहने वाला था। वह दो छोटे बच्चों का पिता था और अपने परिवार का पेट पालने के लिए संघर्ष कर रहा था। गांव में मजदूरी से मुश्किल से 200–300 रुपये प्रतिदिन की कमाई होती थी, जिससे बढ़ती महंगाई में गुजारा करना नामुमकिन हो गया था। इसी मजबूरी ने उसे केरल जाने को विवश कर दिया, जहां उसके गांव के कुछ लोग पहले से काम कर रहे थे।
चोरी की गलतफहमी बनी मौत की वजह
पुलिस और स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों के अनुसार, यह घटना पलक्कड़ के अट्टापल्लम गांव की है। बुधवार दोपहर रामनारायण को मनरेगा (MGNREGS) के तहत काम कर रही महिलाओं के आसपास देखा गया। आरोप है कि उन्होंने अपने बैग में रखा खाना निकालने के दौरान महिलाओं के बैग की ओर हाथ बढ़ाया, जिसे चोरी समझ लिया गया। महिलाओं के शोर मचाते ही आसपास मौजूद कुछ पुरुषों ने बिना सच्चाई जाने रामनारायण पर हमला कर दिया। भीड़ की बेरहमी से हुई पिटाई में उसे गंभीर अंदरूनी चोटें आईं और मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
जेब में मिले कागज से मिली पहचान
इस घटना का एक मार्मिक पहलू यह भी है कि रामनारायण के पास मोबाइल फोन नहीं था। परिवार से संपर्क के लिए वह कुछ फोन नंबर एक कागज पर लिखकर जेब में रखता था। पुलिस को उसी कागज के जरिए उसके भाई तक पहुंचने में मदद मिली, जिसके बाद परिवार को इस दुखद घटना की सूचना दी जा सकी।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
शनिवार को रामनारायण की पत्नी केरल जाकर अपने पति का शव लेकर गांव लौटी। घर में उनकी पत्नी, नौ और दस साल के दो बेटे और एक बीमार मां हैं। रामनारायण सतनामी समाज से ताल्लुक रखते थे, जो छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख अनुसूचित जाति समुदाय है। परिवार के अनुसार, वही घर के एकमात्र कमाने वाले थे।
मृतक के चाचा किशन ने कहा, “रामनारायण बहुत मेहनती था। गांव में काम नहीं मिलता था, इसलिए वह केरल गया। अगर सरकार उसके परिवार की मदद करे तो बच्चों और बुजुर्ग मां का भविष्य बच सकता है।”
पांच आरोपी गिरफ्तार, मुआवजे की उम्मीद
पुलिस ने इस मामले में अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। छत्तीसगढ़ के सक्ती कलेक्टर अमृत विकास टोपनो ने बताया कि पलक्कड़ की कलेक्टर माधवीकुट्टी एमएस ने उनसे संपर्क किया है और पीड़ित परिवार को मुआवजा दिए जाने की प्रक्रिया पर चर्चा हुई है। साथ ही, छत्तीसगढ़ सरकार भी परिवार की सहायता के प्रयास कर रही है।
यह घटना न केवल एक गरीब मजदूर की असमय मौत की कहानी है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि क्या किसी भी संदेह पर कानून को हाथ में लेने का अधिकार भीड़ को है? रोज़गार की तलाश में घर छोड़ने वाले मजदूरों की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था की जिम्मेदारी पर यह घटना एक गंभीर चेतावनी है।