
रायपुर: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में 35 पूर्व नक्सलियों को राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत राजमिस्त्री (मेसन) प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में संवाद, संवेदना और विकास के माध्यम से शांति स्थापित करना है। अब बंदूकें थामने वाले युवाओं के हाथों में औजार हैं, और वे समाज की मुख्यधारा से जुड़कर सम्मान के साथ रोजगार पा रहे हैं।
कौशल प्रशिक्षण और रोजगार
इस प्रशिक्षण में 15 महिलाएं और 20 पुरुष शामिल हैं। उन्हें भवन निर्माण के सभी जरूरी कौशल सिखाए जा रहे हैं, जैसे नींव डालना, ईंट जोड़ना, प्लास्टर करना और छत डालना। इसके जरिए ये युवा प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत घर बनाने में मदद करेंगे। जिला प्रशासन और एसबीआई आरसेटी के सहयोग से यह प्रशिक्षण चलाया जा रहा है।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी मुकुंद ठाकुर ने कहा कि इस प्रशिक्षण से न केवल पूर्व नक्सलियों को रोजगार मिलेगा, बल्कि नक्सल प्रभावित इलाकों में कुशल कारीगरों की कमी भी पूरी होगी।
मुचाकी रनवती: नक्सल से मुख्यधारा तक
पूर्व नक्सली मुचाकी रनवती, जो 24 साल तक संगठन में थीं, ने बताया, “पुनर्वास के बाद मुझे सिलाई का प्रशिक्षण मिला। अब राजमिस्त्री का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। हमने बस्तर ओलंपिक में भाग लिया और प्रथम पुरस्कार जीता। शासन की योजनाओं का पूरा लाभ हमें मिल रहा है।”
प्रशासन का सहयोग
डब्बामरका की गंगा वेट्टी ने कहा कि पुनर्वास के बाद उनका जीवन बदल गया है। उन्हें मोबाइल और राजमिस्त्री किट मिली है, साथ ही आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, राशन कार्ड और जॉब कार्ड भी बनवाए गए हैं। कलेक्टर और एसपी उनकी समस्याओं को तुरंत सुनते हैं और आवश्यक मदद उपलब्ध कराते हैं।
इस पहल से नक्सल प्रभावित इलाकों में केवल शांति ही नहीं, बल्कि स्वावलंबन और सम्मान की दिशा में भी बड़ा कदम उठाया गया है।