Saturday, December 20

भारत में इच्छामृत्यु: लाइलाज रोगियों के लिए कानूनी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने खोली राह

नई दिल्ली: जब कोई व्यक्ति असहनीय दर्द और लाइलाज बीमारी से जूझता है, तो इच्छामृत्यु (Euthanasia) उसकी राहत का कानूनी विकल्प बन सकती है। भारत में यह प्रक्रिया केवल उन लोगों के लिए लागू है जो स्थायी रूप से कोमा में हैं या जिनकी बीमारी से ठीक होने की संभावना लगभग न के बराबर है।

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31 वर्षीय हरीश राणा 13 साल से कोमा में जीवन और मृत्यु के बीच झूल रहे हैं। उनके ‘निष्क्रिय इच्छामृत्यु’ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माता-पिता से सीधे बातचीत करने का निर्णय लिया है। AIIMS मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, हरीश के ठीक होने की उम्मीद नगण्य है।

इच्छामृत्यु का कानूनी सफर:
भारत में इच्छामृत्यु पर चर्चा 2000 के दशक की शुरुआत में शुरू हुई। 2005 में विधि आयोग की 196वीं रिपोर्ट ने ‘असाध्य रूप से बीमार रोगियों का चिकित्सा उपचार’ पर प्रकाश डाला और गरिमापूर्ण मृत्यु के अधिकार को चर्चा में लाया।

अरुणा शानबाग केस:
1973 में मुंबई की नर्स अरुणा शानबाग पर भयानक हमला हुआ था। वह 37 साल से अधिक समय तक कोमा में रही। साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने उनके मामले में निष्क्रिय इच्छामृत्यु की अनुमति दी, यह भारत में इस प्रकार का पहला कानूनी मान्यता प्राप्त उदाहरण था। इसके तहत लाइफ सपोर्ट हटाना कोर्ट की कड़ी निगरानी में किया जा सकता है।

विधि आयोग की रिपोर्ट:
2012 में विधि आयोग ने ‘निष्क्रिय इच्छामृत्यु – एक पुनर्विचार’ शीर्षक से 241वीं रिपोर्ट जारी की। इसमें रोगियों, परिवार और चिकित्सकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश दिए गए।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला 2018:
मार्च 2018 में कॉमन कॉज बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निष्क्रिय इच्छामृत्यु को वैध कर दिया और लिविंग विल की मान्यता दी। कोर्ट ने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए ताकि इच्छामृत्यु का दुरुपयोग न हो और मरीजों को गरिमापूर्ण मृत्यु का अधिकार सुनिश्चित हो।

कौन सकते हैं इच्छामृत्यु के दायरे में:

  • स्थायी रूप से कोमा में रोगी
  • लाइलाज और असहनीय पीड़ा झेल रहे मरीज
  • ऐसे रोगी जिन्होंने ‘लिविंग विल’ के माध्यम से अपनी अंतिम इच्छाएं दर्ज करवाई हों

इच्छामृत्यु अब केवल व्यक्तिगत राहत नहीं, बल्कि कानूनी और सामाजिक सुरक्षा के तहत रोगियों के लिए मान्यता प्राप्त विकल्प बन चुकी है।

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