
ढाका। बांग्लादेश में छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद हालात बेकाबू हो गए हैं। राजधानी ढाका समेत देश के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन फूट पड़े हैं। उग्र भीड़ ने मीडिया संस्थानों को निशाना बनाते हुए कई प्रमुख अख़बारों के दफ्तरों में आग लगा दी, जिससे दर्जनों पत्रकार और कर्मचारी घंटों तक इमारतों के भीतर फंसे रहे।
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि मीडिया संस्थान भारत समर्थक हैं और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पक्ष में रिपोर्टिंग कर रहे हैं। गौरतलब है कि शेख हसीना अगस्त 2024 में सत्ता से बेदखल होने के बाद भारत चली गई थीं।
इस भयावह स्थिति के बीच डेली स्टार की रिपोर्टर जायमा इस्लाम ने शुक्रवार तड़के फेसबुक पर एक भावुक और झकझोर देने वाला संदेश साझा किया। उन्होंने लिखा—
“मैं सांस नहीं ले पा रही हूं। चारों ओर धुआं भरा हुआ है। मैं अंदर फंसी हूं। तुम लोग हमें मार रहे हो।“
यह संदेश बांग्लादेश में प्रेस की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
समाचार एजेंसी AFP के अनुसार, राजधानी ढाका में कई इमारतों में आगजनी की गई, जिनमें देश के दो प्रमुख अख़बारों के दफ्तर भी शामिल हैं। एसोसिएटेड प्रेस ने फायर ब्रिगेड अधिकारियों के हवाले से बताया कि डेली स्टार के कार्यालय में लगी आग पर तड़के करीब 1:40 बजे काबू पा लिया गया, लेकिन तब तक 27 कर्मचारी इमारत के अंदर फंसे हुए थे।
डेली स्टार के एक अन्य रिपोर्टर अहमद दीप्तो ने बताया कि पत्रकारों को जान बचाने के लिए इमारत के पिछले हिस्से में शरण लेनी पड़ी, जबकि बाहर प्रदर्शनकारी लगातार नारेबाजी कर रहे थे।
दरअसल, 32 वर्षीय छात्र नेता उस्मान हादी, जो ‘इंकलाब मंच’ के प्रवक्ता और आगामी राष्ट्रीय चुनावों में उम्मीदवार थे, को 12 दिसंबर को ढाका में चुनाव प्रचार के दौरान नकाबपोश हमलावरों ने सिर में गोली मार दी थी। गंभीर हालत में उन्हें इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। उनकी मौत की खबर सामने आते ही देशभर में आक्रोश फैल गया।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने हादी की मौत को “देश के लिए अपूरणीय क्षति” बताया है और शनिवार को राष्ट्रीय शोक दिवस घोषित किया है। इस दौरान विशेष प्रार्थनाओं और राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाने के आदेश दिए गए हैं।
पुलिस ने हमलावरों की तलाश तेज कर दी है। दो संदिग्धों की तस्वीरें जारी कर उनकी गिरफ्तारी में मदद करने वालों के लिए इनाम की घोषणा की गई है। हालांकि ढाका, चट्टोग्राम और राजशाही जैसे बड़े शहरों में सुरक्षा बल तैनात हैं, फिर भी देर रात तक हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों और मानवाधिकार विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते हिंसा पर काबू नहीं पाया गया, तो यह बांग्लादेश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और प्रेस की स्वतंत्रता—दोनों के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकता है।