
पटना: पटना उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से बिहार से बागवानी उत्पादों, विशेष रूप से आम और लीची के निर्यात से जुड़े वास्तविक आंकड़े प्रस्तुत करने को कहा है। कोर्ट ने यह स्पष्ट करने को भी कहा कि राज्य में इन फलों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अब तक कौन-से बुनियादी ढांचे की व्यवस्था की गई है।
कोर्ट की यह कार्रवाई अधिवक्ता मौर्य विजय चंद्र द्वारा दायर जनहित याचिका पर हुई। याचिका में केंद्र और राज्य सरकार से बिहार में बागवानी विशेषज्ञों के लिए कौशल विकास कार्यक्रम चलाने, ताजे फलों और सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्य के हवाई अड्डों पर विशेष कार्गो हैंडलिंग केंद्र स्थापित करने की मांग की गई थी। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने APEDA को निर्देश देने की भी मांग की कि वे बिहार के बागवानी विशेषज्ञों को अपने हॉर्टिनेट प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत करें, जिससे क्षेत्रवार ताजे मौसमी उत्पादों की उपलब्धता पर नजर रखी जा सके।
कोर्ट ने कृषि विभाग के प्रमुख और बागवानी निदेशक को हाल के कृषि मौसमों में राज्य से निर्यात किए गए आम और लीची की वास्तविक मात्रा के आंकड़े प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी।
पूर्व में, कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने बताया था कि बिहार सालाना 15.84 लाख मीट्रिक टन आम का उत्पादन करता है और आम उत्पादन में देश में तीसरे स्थान पर है। मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य लगभग 1200 मीट्रिक टन ताजे आम का निर्यात करता है और निर्यात बढ़ाने की अपार संभावना है। उन्होंने कहा कि APEDA के सहयोग से ब्रिटेन, मध्य पूर्व और न्यूजीलैंड को बिहार से आम निर्यात हो रहा है।
मंत्री ने आम किसानों को अधिक केंद्रित सहायता देने, उत्पादन बढ़ाने और क्लस्टर विकास के जरिए बाजार तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने की सरकार की रणनीतियों का भी उल्लेख किया।