Friday, December 19

उत्तराखंड में Gen Z युवा प्रधान: डिजिटल और दृढ़ निश्चयी, तोड़ रहे पुराने रूढ़ियों को

देहरादून: उत्तराखंड की पहाड़ियों में युवा नेतृत्व की एक नई क्रांति उभर रही है। इस साल हुए पंचायत चुनावों में कई युवा, विशेषकर लड़कियां, अपने गांव की प्रधान बनीं। ये युवा अपनी डिग्री और स्मार्टफोन के साथ अपने गांव को फिर से बसाने और बदलने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।

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जुलाई के अंत में आए चुनाव नतीजों में कई युवा महिलाओं ने उन सीटों पर कब्जा किया, जहां सालों तक बुजुर्ग नेता बैठे थे। इन Gen Z प्रधानों ने पलायन और पितृसत्ता जैसी पुरानी पहाड़ी सच्चाइयों को चुनौती दी है। उनके लिए पंचायत में आना दौलत या प्रसिद्धि का रास्ता नहीं, बल्कि घर लौटनेका एक सचेत निर्णय है। उनका लक्ष्य स्कूल, स्वास्थ्य सेवाएं, सड़कें और युवाओं का पलायन रोकना है।

22 साल की साक्षी रावत:
पौड़ी गढ़वाल के अपने गांव कुई लौटने वाली साक्षी ने अपनी बायोटेक्नोलॉजी की डिग्री के बाद यहां पंचायत चुनाव लड़ा। उनका कहना है, “ज्यादातर युवा पढ़ाई के बाद गांव छोड़ देते हैं। मैं चाहती हूं कि वे यहीं रहें और कुछ अपना बनाएं। उत्तराखंड का पुनरुद्धार युवाओं के नेतृत्व में होगा।”

21 साल की प्रियंका नेगी:
चमोली के सरकोट गांव की प्रधान प्रियंका नेगी कभी गणितज्ञ बनना चाहती थीं। उन्होंने ग्रेजुएशन के दौरान महसूस किया कि शासन ही असली गणित है। उन्होंने अपनी प्राथमिकताओं में सड़कें और बुनियादी सुविधाएं सुधारना रखा है।

22 साल की दीक्षा मंडोली:
चमोली के गुलारी गांव की प्रधान दीक्षा मंडोली, जो 21 साल की उम्र में मां भी बन चुकी हैं, युवाओं में नशे के बढ़ते खतरे को रोकने के लिए खेलकूद प्रतियोगिताएं और स्वरोजगार के अवसर शुरू कर रही हैं।

सोशल मीडिया और तकनीक से जोड़ रही जनता:
ये युवा प्रधान सिर्फ समस्याओं का समाधान नहीं कर रहे, बल्कि सोशल मीडिया और तकनीक का इस्तेमाल करके गांववालों से जुड़ रहे हैं, उनकी राय ले रहे हैं और पारदर्शिता बनाए रख रहे हैं।

परिवर्तन की मिसाल:
साक्षी रावत ने पानी की समस्या हल करने के लिए नई तकनीक अपनाई, प्रियंका ने सड़क निर्माण के लिए सरकारी फंड जुटाए और दीक्षा मंडोली ने युवाओं को नशे से दूर रखने के कार्यक्रम शुरू किए। ये सभी युवा प्रधान दिखा रहे हैं कि उम्र कोई बाधा नहीं, और यदि इरादा नेक हो तो बदलाव संभव है।

निष्कर्ष:
उत्तराखंड के ये Gen Z युवा प्रधान सिर्फ अपने गांव के नेता नहीं, बल्कि राज्य के भविष्य के निर्माता हैं। डिजिटल और दृढ़ निश्चयी ये युवा आने वाली पीढ़ियों के लिए एक नई राह बनाकर दिखा रहे हैं।

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