Tuesday, December 16

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की उड़ रही धज्जियां, प्रदूषण पर कोर्ट सलाहकार ने बताई असलियत

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी कर कई स्कूल खुले में खेल गतिविधियों का आयोजन कर रहे हैं। अदालत को बताया गया कि स्कूलों ने नवंबर-दिसंबर के दौरान बच्चों को बाहर खेलाने पर लगे प्रतिबंध को दरकिनार करने के तरीके खोज लिए हैं।

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यह कहा कि वह 17 दिसंबर को दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ते प्रदूषण के स्तर से संबंधित याचिका पर सुनवाई करेगा। कोर्ट सलाहकारों ने अदालत को अवगत कराया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद खेल गतिविधियां जारी हैं।

स्कूलों ने नहीं मानी अदालत की हिदायत
मुख्य प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (CAQM) ने भी एक अधिसूचना जारी कर स्पष्ट किया है कि सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों के बाहर खेलने पर रोक लगाई है। इसके बावजूद कुछ स्कूलों ने आदेशों को दरकिनार कर अपने तरीके निकाल लिए हैं।

कोर्ट ने व्यक्त किए विचार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समस्या का व्यावहारिक समाधान क्या है और किस तरह के निर्देश दिए जा सकते हैं, इसे देखना चाहिए। अदालत ने जोर दिया कि केवल तभी आदेश प्रभावी होंगे जब लोग उनकी गंभीरता को समझें और अपने व्यवहार में बदलाव करें।

चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने यह भी कहा कि बड़े शहरों में लोगों की जीवनशैली बदलना कठिन है और गरीबों पर पड़ने वाले प्रभाव को भी ध्यान में रखना होगा। कोर्ट सलाहकार अपराजिता सिंह ने बताया कि GRAP-IV उपायों के लागू होने के बाद निर्माण श्रमिकों के पास काम नहीं बचा है।

मामले की सुनवाई और निर्देश
यह सुनवाई एम.सी. मेहता मामले में हो रही है, जो दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण से संबंधित है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वकील अपने सुझाव और मुद्दे कोर्ट सलाहकार के समक्ष रखें। अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल मीडिया में दिखावे के लिए आवेदन दाखिल न किए जाएँ।

चीफ जस्टिस ने बार के सदस्यों और पक्षकारों को मौसमी हालातों को देखते हुए विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हाइब्रिड मोड में पेश होने की सलाह दी। बुधवार को यह मामला तीन जजों की बेंच के सामने सूचीबद्ध होगा।

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