
उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेसवे नेटवर्क को नई मजबूती देने की दिशा में एक बड़ी पहल की जा रही है। गंगा एक्सप्रेसवे को यमुना एक्सप्रेसवे से जोड़ने के लिए 74.3 किलोमीटर लंबा लिंक एक्सप्रेसवे बनाया जाएगा, जिसके लिए 56 गांवों की जमीन खरीदी जाएगी। इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर करीब 4,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
यह लिंक एक्सप्रेसवे न केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर की कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगा, बल्कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, दिल्ली–मुंबई एक्सप्रेसवे और औद्योगिक क्षेत्रों को भी सीधा लाभ पहुंचाएगा।
जनवरी से शुरू होगी जमीन खरीद प्रक्रिया
यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) के सीईओ आर.के. सिंह ने बताया कि परियोजना के लिए सर्वे कार्य पूरा कर लिया गया है और जनवरी से जमीन खरीद की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
यीडा क्षेत्र में 16 गांवों की करीब 740 एकड़ भूमि खरीदी जाएगी, जिस पर लगभग 1200 करोड़ रुपये खर्च होंगे। भूमि अधिग्रहण के बाद इसे उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) को सौंपा जाएगा, जो निर्माण कार्य करेगा।
कहां से कहां तक बनेगा लिंक एक्सप्रेसवे
- गंगा एक्सप्रेसवे: बुलंदशहर के सियाना क्षेत्र में 44.3 किमी बिंदु
- यमुना एक्सप्रेसवे: सेक्टर-21, फिल्म सिटी के पास 24.8 किमी बिंदु
- कुल लंबाई: 74.3 किमी
- यीडा क्षेत्र में: 20 किमी, जिसमें से 9 किमी एलिवेटेड होगा
यीडा क्षेत्र में सर्विस रोड का भी निर्माण किया जाएगा, जिससे स्थानीय ग्रामीणों को आवागमन की बेहतर सुविधा मिलेगी।
56 गांवों की जमीन होगी शामिल
इस परियोजना में
- बुलंदशहर जिले के 48 गांव (खुर्जा, बुलंदशहर, सियाना, शिकारपुर तहसील)
- गौतमबुद्ध नगर जिले के 8 गांव (जेवर तहसील) शामिल हैं।
जेवर क्षेत्र के प्रमुख गांव—
मेहंदीपुर बांगर, भाईपुर ब्रह्मनान, रबूपुरा, भुन्नातगा, म्याना, फाजिलपुर, कल्लूपुरा सहित अन्य गांवों की भूमि परियोजना में आएगी।
दिल्ली से प्रयागराज तक सफर होगा आसान
लिंक एक्सप्रेसवे बनने के बाद—
- मेरठ से प्रयागराज तक सीधी सड़क कनेक्टिविटी
- नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक तेज और सुगम पहुंच
- दिल्ली–मुंबई एक्सप्रेसवे और आगरा तक यात्रा आसान
- यमुना सिटी के औद्योगिक सेक्टर 28, 29, 32 और 33 को सीधा लाभ
विकास और रोजगार को मिलेगी रफ्तार
इस लिंक एक्सप्रेसवे के निर्माण से औद्योगिक निवेश, लॉजिस्टिक्स, पर्यटन और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। विशेषज्ञों के अनुसार यह परियोजना पश्चिमी उत्तर प्रदेश को देश के सबसे मजबूत रोड नेटवर्क से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगी।