
गुजरात की प्रसिद्ध लोकगायिका किंजल दवे एक बार फिर चर्चा के केंद्र में हैं। इस बार वजह उनकी अंतरजातीय सगाई है, जिस पर ब्राह्मण समाज के एक वर्ग ने आपत्ति जताते हुए उनके परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया। विवाद बढ़ने के बाद किंजल दवे ने पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया देते हुए विरोध करने वालों पर करारा पलटवार किया है।
किंजल दवे ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि
“दो-चार असामाजिक तत्व यह तय नहीं कर सकते कि मैं किससे सगाई या शादी करूं। अब बात सिर्फ मेरी नहीं, मेरे माता-पिता की इज्जत की है, इसलिए चुप रहना संभव नहीं था।”
6 दिसंबर को हुई थी सगाई, समारोह में मौजूद थीं राज्यपाल
गौरतलब है कि किंजल दवे ने 6 दिसंबर को अभिनेता और व्यवसायी ध्रुविन शाह के साथ सगाई की थी। इस समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल और गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की मौजूदगी भी चर्चा का विषय रही। सगाई सार्वजनिक होने के बाद ब्राह्मण समाज के कुछ संगठनों ने इस रिश्ते पर आपत्ति जताई और किंजल के माता-पिता को समाज से बाहर करने का फैसला सुना दिया।
“मुझे ब्राह्मण बेटी होने पर गर्व है”
अपने वीडियो में किंजल ने भावुक होते हुए कहा कि उन्हें ब्राह्मण बेटी होने पर गर्व है और आज वे जिस मुकाम पर हैं, वहां तक पहुंचने में 18 जातियों के लोगों के प्यार और समर्थन का योगदान रहा है। उन्होंने कहा—
“मेरा परिवार मेरी ढाल है। मेरे पिता मेरी खुशी में खुश हैं, यही मेरे लिए सबसे बड़ा आशीर्वाद है।”
साटा प्रथा को बताया अपनी पीड़ा की जड़
किंजल दवे ने समाज में प्रचलित साटा प्रथा पर भी सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि उनकी पहली सगाई इसी प्रथा के कारण टूट गई थी। उन्होंने कहा—
“हम 21वीं सदी में जी रहे हैं, लेकिन कुछ परंपराएं आज भी 18वीं सदी की सोच से बंधी हैं। एक तरफ बेटियां तेजस विमान उड़ा रही हैं, सेना में देश की रक्षा कर रही हैं, संसद और युद्धभूमि में नेतृत्व कर रही हैं, और दूसरी तरफ उनसे यह पूछा जा रहा है कि वे किससे शादी करें।”
कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
किंजल दवे ने साफ कहा कि अगर कोई उनके या उनके परिवार के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां करेगा तो वे कानूनी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेंगी। साथ ही उन्होंने ब्राह्मण समाज के प्रबुद्ध नेताओं से अपील की कि ऐसे असामाजिक तत्वों को समाज से बाहर किया जाए, ताकि समाज की छवि खराब न हो।
समाज की प्रतिक्रिया भी सामने आई
वहीं, पंच परगना ब्राह्मण समाज के उपाध्यक्ष जनक जोशी ने समुदाय के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि अंतरजातीय विवाह गैरकानूनी नहीं है, लेकिन हर समाज के अपने नियम होते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि किंजल की टिप्पणियों से समुदाय को बदनाम किया गया है। हालांकि, कई सामाजिक चिंतकों और लेखकों ने किंजल दवे के फैसले का समर्थन किया है।