
नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत को हमेशा का पक्का मित्र बताते हुए मौजूदा मोहम्मद यूनुस सरकार पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि यूनुस सरकार में कट्टरपंथी तत्वों को बढ़ावा मिलने से भारत-बांग्लादेश के रिश्तों पर खतरा मंडरा रहा है।
शेख हसीना वर्तमान में निर्वासित जीवन जी रही हैं। उन्होंने ई-मेल के माध्यम से हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में बताया कि उनकी सरकार ने देश में कट्टरपंथी इस्लाम के फैलाव को रोकने के लिए कठिन प्रयास किए थे। लेकिन मौजूदा सरकार में अल्पसंख्यकों और महिलाओं के अधिकारों की लगातार अनदेखी की जा रही है।
कट्टरपंथियों के हाथ में बांग्लादेश
शेख हसीना ने कहा, “आज बांग्लादेश अल्पसंख्यकों और महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है। कट्टरपंथी तत्वों के हावी होने और धार्मिक असहिष्णुता के बढ़ने से लाखों सामान्य बांग्लादेशी अपने घरों में डर के साए में जी रहे हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि यूनुस सरकार की नीति के कारण देश में हिंसा और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है।
हिंदुओं पर हिंसा को ‘कलंक’ बताया
भारत द्वारा बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर जताई गई चिंता को शेख हसीना ने सही ठहराया और इसे अपने देश के लिए कलंक करार दिया। उन्होंने कहा कि यूनुस के कार्यकाल के शुरुआती हफ्तों में धार्मिक हिंसा भड़की और उस हिंसा को लगातार नकारना शर्मनाक था। आज भी हिंदू, बौद्ध, ईसाई, आदिवासी और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को टारगेट किया जा रहा है।
लोकतंत्र पर संकट
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि यूनुस सरकार ने अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाकर उसे चुनाव से बाहर कर दिया है। यह देश के 17.3 करोड़ लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर एक काला धब्बा है। उनके मुताबिक, यह लोकतंत्र के लिए गहरा संकट है और भारत के साथ पारंपरिक मित्रता पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है।
सारांश:
शेख हसीना ने यूनुस सरकार की नीतियों और कट्टरपंथी ताकतों को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उनका कहना है कि धार्मिक असहिष्णुता, अल्पसंख्यकों पर हिंसा और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन भारत-बांग्लादेश संबंधों के लिए खतरा बन सकता है।