
रियाद/वाशिंगटन: खाड़ी का सबसे प्रभावशाली सुन्नी देश सऊदी अरब जल्द ही अमेरिका से एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट खरीदने वाला पहला अरब देश बन सकता है। इसके लिए प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) 18 नवंबर को अमेरिका का दौरा करेंगे और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से डील पर बातचीत करेंगे।
एफ-35 जेट इस क्षेत्र में फिलहाल केवल इजरायल के पास है। यह पांचवीं पीढ़ी का अत्याधुनिक लड़ाकू विमान माना जाता है, जिसका इस्तेमाल इजरायली वायुसेना ने ईरान पर किए गए हमलों में किया था। इन हमलों में ईरानी रडार पूरी तरह फेल हो गए थे। अब अरब देश भी इसी तकनीक को हासिल करने की कोशिश में हैं।
सऊदी अरब 48 एफ-35 फाइटर जेट खरीदने की योजना बना रहा है। अमेरिकी पेंटागन ने इस डील को मंजूरी दे दी है। ट्रंप प्रशासन ने सऊदी को यह जेट देने की शर्त रखी है कि सऊदी अरब को इजरायल के साथ संबंध सामान्य करने होंगे, जैसा कि 2023 में अब्राहम अकॉर्ड के दौरान प्रयास किया गया था।
सऊदी वायुसेना पहले से ही एफ-15 और यूरोफाइटर टायफून जैसे आधुनिक विमानों से लैस है। अब एफ-35 शामिल होने से इसकी ताकत और बढ़ जाएगी। सऊदी अरब इसे हूती विद्रोहियों और ईरान के संभावित खतरे के मद्देनजर खरीदना चाहता है। साथ ही, इजरायल के कतर पर हमलों के बाद सऊदी अपने क्षेत्रीय सुरक्षा हितों को मजबूत करने के लिए भी यह कदम उठा रहा है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, एफ-35 की खरीद सऊदी अरब को खाड़ी में प्रभावशाली वायु शक्ति देगी और उसे क्षेत्रीय खतरे से निपटने में सक्षम बनाएगी। इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि यह डील इजरायल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही मंजूरी मिले।