
लखनऊ। अयोध्या के कार्यवाहक जिला होम्योपैथी चिकित्साधिकारी (DHMO) डॉ. अजय कुमार पर दवा खरीद में अनियमितताओं के गंभीर आरोपों के बाद प्रदेश सरकार एक्शन मोड में आ गई है। आयुष विभाग के प्रमुख सचिव रंजन कुमार ने बुधवार को आदेश जारी करते हुए न केवल डॉ. अजय को पद से हटा दिया, बल्कि उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू करने का निर्देश दिया है। जांच पूरी होने तक उन्हें सोनभद्र के जिला चिकित्साधिकारी कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।
कमीशन के खेल का आरोप, एमआरपी पर खरीद का विवाद
डॉ. अजय पर आरोप है कि बाजार में जिन दवाओं पर 50-60% तक की छूट मिलती है, उन्हें उन्होंने एमआरपी पर खरीदा, जिससे बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी का शक पैदा हुआ।
इसके अलावा उन पर यह आरोप भी लगे—
- महंगे रेट पर दवाएं खरीदने
- कमीशन लेने
- टेंडर प्रक्रिया का पालन न करने
- कोटेशन को गुपचुप तरीके से जारी करने
- शासन द्वारा स्वीकृत सूची के बाहर की दवाएं खरीदने
इन आरोपों के चलते विभाग ने पूरे मामले की विस्तृत जांच कराने का फैसला लिया है।
सामाजिक कार्यकर्ता की शिकायत पर शुरू हुआ मामला
सामाजिक कार्यकर्ता अवधेश तिवारी ने डॉ. अजय की खरीद प्रक्रिया में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत शासन तक पहुंचाई थी।
सूत्रों के मुताबिक, इस मामले की जांच रिपोर्ट एक साल पहले ही आ चुकी थी, जिसमें डॉ. अजय को दोषी बताया गया था, लेकिन उस समय कोई कार्रवाई नहीं हुई।
30 नवंबर को एनबीटी ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया, जिसके बाद शासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए जवाब-तलब किया और जांच को फिर से आगे बढ़ाया।
डॉ. अजय का पलटवार – “सभी आरोप बेबुनियाद”
दूसरी ओर, डॉ. अजय कुमार ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को निराधार बताया है। उनका कहना है कि दवा खरीद सहित हर प्रक्रिया नियमों के मुताबिक ही पूरी की गई।
जांच के बाद ही होगी अंतिम कार्रवाई
आयुष विभाग ने स्पष्ट किया है कि विभागीय जांच पूरी होने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय होगी। फिलहाल, मामले की गंभीरता को देखते हुए शासन ने दवा खरीद से जुड़े सभी दस्तावेज और प्रक्रियाओं की बारीकी से जांच करवाने के निर्देश दिए हैं।
यह मामला स्वास्थ्य विभाग में पारदर्शिता और खरीद प्रक्रियाओं पर उठ रहे सवालों को एक बार फिर केंद्र में ला खड़ा करता है।