Friday, December 12

बिहार से 63 लाख से अधिक मजदूरों का पलायन! टाटा इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक की रिपोर्ट से हड़कंप

पटना। बिहार से होने वाला मौसमी प्रवासन राज्य की सबसे गंभीर सामाजिक-आर्थिक समस्याओं में से एक बन गया है। इसी मुद्दे को केंद्र में रखकर गुरुवार से पटना स्थित अनुग्रह नारायण सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (एएन सिन्हा संस्थान) में दो दिवसीय राष्ट्रीय परामर्श की शुरुआत हुई। देश के कई राज्यों—गुजरात, केरल, राजस्थान, दिल्ली और झारखंड—से आए शिक्षाविदों, श्रमिक संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और सरकारी अधिकारियों ने इसमें भाग लिया।

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इस परामर्श का मुख्य उद्देश्य प्रवासन के बढ़ते कारणों को समझना, मौजूदा नीतियों का आकलन करना और प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए ठोस सुझाव तैयार करना था।

पूर्व निदेशक का बड़ा खुलासा: 63 लाख से अधिक मजदूर बिहार छोड़ने को मजबूर

कार्यक्रम के दौरान टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के पूर्व निदेशक पुष्पेंद्र कुमार ने चौंकाने वाला आंकड़ा पेश किया।
उन्होंने बताया कि—

  • 63 लाख से अधिक श्रमिक बिहार से पलायन करते हैं।
  • इनमें से केवल 25% ही बिहार के भीतर काम करते हैं।
  • 71% मजदूर आजीविका की तलाश में दूसरे राज्यों में जाते हैं।
  • 3% से अधिक मजदूर विदेशों में काम करने निकल जाते हैं।

प्रो. राम बाबू भगत और अविरल शर्मा ने भी इस विषय पर विस्तृत शोध प्रस्तुत कर प्रवासन की गंभीरता को रेखांकित किया।

सरकारी प्रयासों पर चर्चा

सहायक श्रम आयुक्त डॉ. गणेश झा ने बिहार सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई जा रही योजनाओं और राहत कार्यों की जानकारी दी।
एक्शन ऐड के शत्रुघ्न दास ने ईंट-भट्टों में कार्यरत श्रमिकों की कठिनाइयों और बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराए गए मजदूरों के अनुभव साझा किए।
राजस्थान और केरल की यूनियनों के प्रतिनिधियों ने बताया कि कैसे वे बिहार के श्रमिकों की सुरक्षा और अधिकारों के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

बाल श्रम और मानव तस्करी पर चिंता

परामर्श में बाल श्रम, मानव तस्करी और नाबालिग प्रवासियों की चुनौतियाँ प्रमुख मुद्दे रहे।
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्यों ने अपने कार्यों की जानकारी दी, जबकि न्याय नेटवर्क और अदिति संस्था के प्रतिनिधियों ने वास्तविक जमीनी अनुभव साझा किए।
यूनिसेफ के विशेषज्ञों ने पूरे बिहार में प्रवासन से जुड़े जोखिमों पर विस्तृत रिपोर्ट पेश की।

मिलकर समाधान की अपील

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में सभी विशेषज्ञों, संगठनों और प्रतिनिधियों ने माना कि—
“बिहार में प्रवासन की समस्या अत्यंत व्यापक और गहरी है, जिसे केवल सामूहिक प्रयासों, ठोस नीतियों और राजनीतिक इच्छाशक्ति से ही हल किया जा सकता है।”

राष्ट्रीय परामर्श ने इस चुनौती को समझने, नए सुझाव देने और प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया।

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