
पटना: बिहार की राजनीति में अब निशांत कुमार के नाम की चर्चा जोर पकड़ रही है। जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय कुमार झा ने हाल ही में कहा कि पार्टी के सभी नेता चाहते हैं कि निशांत अब राजनीति में सक्रिय हो जाएँ। हालांकि, निशांत और उनके पिता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
जनवरी से चर्चा में निशांत
इस साल जनवरी में निशांत ने पहली बार राजनीति की बातें सार्वजनिक रूप से की थीं। उन्होंने अपने गांव कल्याण बिगहा में कहा था कि उनके पिता ने बिहार के लिए काफी काम किए हैं और विकास की दिशा में उन्हें और आगे काम करने का मौका मिलना चाहिए। इस साल फिर से चर्चा तब तेज हुई जब निशांत और संजय झा दिल्ली से पटना लौटे।
ग्रैंड एंट्री की संभावना
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि निशांत की लांचिंग किसी न किसी रूप में होगी। कुछ लोगों का मानना है कि उन्हें सीधे सरकार में शामिल किया जा सकता है। हालांकि, इस पर फैसला नीतीश कुमार पर निर्भर करेगा, जो पारिवारिक राजनीति के पक्षधर नहीं माने जाते।
लालू मॉडल का संदर्भ
बिहार में पहले लालू प्रसाद यादव ने अपने बेटों तेजस्वी और तेज प्रताप को सक्रिय राजनीति में लांच किया था। चर्चा है कि यदि नीतीश कुमार राजनीति से रिटायर होने का विचार करते हैं, तो वे अपने बेटे निशांत की ग्रैंड लांचिंग इसी मॉडल पर कर सकते हैं।
आगामी चुनौतियाँ और चुनाव
अगले साल विधान परिषद के चुनावों को देखते हुए यह संभव है कि निशांत की राजनीति में एंट्री अगले छह महीनों में हो सकती है। इससे पहले भी उपेंद्र कुशवाहा ने अपने बेटे को मंत्री बनाकर यह रास्ता अपनाया था।
निष्कर्ष: निशांत कुमार की एंट्री बिहार की राजनीति में नई हलचल ला सकती है। चाहे संगठन में बड़ी जिम्मेदारी हो या सीधे सरकार में शामिल किया जाए, यह कदम नीतीश कुमार के रिटायरमेंट और राज्य की राजनीतिक रणनीति पर निर्भर करेगा।
