Tuesday, December 9

बिहार के सरकारी स्कूलों में ‘हाजिरी क्रांति’! रजिस्टर नहीं, अब टैबलेट से दर्ज होगी शिक्षक और छात्र की उपस्थिति

अमरेंद्र चौहान| सीतामढ़ी: बिहार के सरकारी स्कूलों में अब रजिस्टर की जगह डिजिटल हाजिरी शुरू हो रही है। शिक्षा विभाग ने स्कूलों को हाईटेक बनाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए ई-शिक्षा कोश पोर्टल पर शिक्षक और छात्रों की हाजिरी सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है।

टैबलेट आधारित हाजिरी का प्रावधान

पहले शिक्षक और छात्र रजिस्टर पर हाजिरी दर्ज करते थे, लेकिन अब इसे पूरी तरह डिजिटल किया जा रहा है। विभाग ने टैबलेट और फेशियल रिकग्नाइजेशन सिस्टम के माध्यम से उपस्थिति दर्ज कराने का फैसला किया है। इस पहल का उद्देश्य फर्जी हाजिरी और अन्य धांधली को रोकना है।

शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है

शिक्षकों और नोडल स्टाफ को डिजिटल हाजिरी के संचालन के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। राज्य परियोजना निदेशक के निर्देश पर सभी विद्यालय प्रधान और नोडल शिक्षक ऑनलाइन प्रशिक्षण में शामिल हो रहे हैं। इस कड़ी में 9 दिसंबर को सीतामढ़ी जिले के नानपुर, परिहार, पुपरी, रीगा, रुन्नीसैदपुर, परसौनी, सोनबरसा, सुप्पी और सुरसंड के विद्यालयों के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया। 10 दिसंबर को बैरगनिया, बाजपट्टी, बथनाहा, बेलसंड, बोखड़ा, चोरोत, डुमरा और मेजरगंज प्रखंडों के शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।

निजी मोबाइल का भी उपयोग संभव

प्रशिक्षण में भाग लेने वाले शिक्षक विद्यालय में उपलब्ध टैबलेट या अपने निजी मोबाइल फोन का उपयोग कर सकते हैं। चयनित आईटी एजेंसी द्वारा प्रशिक्षण लिंक जिला एमआईएस प्रभारी और जिला गुणवत्ता शिक्षा प्रभारी को उपलब्ध कराया गया है, जिसे सभी विद्यालयों तक साझा किया जाएगा।

4501 टैबलेट वितरित किए गए

डीपीओ समग्र शिक्षा, प्रियदर्शी सौरभ ने बताया कि जिले में 1034 प्राथमिक, 779 मध्य और 286 उच्च विद्यालय संचालित हैं। इन विद्यालयों में कुल 4501 टैबलेट वितरित किए जा चुके हैं, जिनका उपयोग छात्र उपस्थिति दर्ज करने में किया जाएगा। सभी प्रधानाध्यापकों को निर्देश दिया गया है कि निर्धारित शिड्यूल के अनुसार ऑनलाइन प्रशिक्षण में अनिवार्य रूप से भाग लें, ताकि आगामी सत्र से डिजिटल उपस्थिति प्रणाली सुचारू रूप से लागू की जा सके।

बिहार के इस कदम से सरकारी स्कूलों में पारदर्शिता और हाजिरी के सत्यापन में क्रांति आने की संभावना है, जिससे शिक्षकों और छात्रों की वास्तविक उपस्थिति पर निगरानी आसान होगी।

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