झारखंड में नीतीश कुमार का जदयू कमजोर, ‘कुर्मी’ बनाम ‘कुड़मी’ सियासत में उलझी पार्टी
रांची: बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय नेता नीतीश कुमार की राजनीतिक पकड़ बिहार में मजबूत होने के बावजूद, पड़ोसी राज्य झारखंड में पार्टी अपनी पैठ नहीं बना पा रही है। लगभग दो दशक से सत्ता में बने रहने वाले नीतीश कुमार ने झारखंड में कई प्रयास किए, जातीय समीकरण साधने की कोशिश की, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी।
जातीय समीकरण साधने की कोशिशें:2024 में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने झारखंड के कुर्मी और कोइरी नेताओं के साथ कई बैठकें कीं। उनका उद्देश्य था कि कुर्मी वोटरों को साधकर जदयू के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया जाए। 2022 में खीरू महतो को बिहार से राज्यसभा भेजा गया ताकि झारखंड में कुर्मी प्रतिनिधित्व बढ़ाया जा सके। इसके अलावा महतो को जदयू का सचेतक भी बनाया गया।
सीट शेयरिंग ने सब चौपट किया:हालांकि, 2024 के विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे में जदयू को केवल 2 सीटें मिलीं...









