
बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की करारी हार ने सोशल मीडिया पर नई बहस को जन्म दे दिया है। इस बहस की शुरुआत लालू यादव के सर्टिफाइड पैरोडी एक्स अकाउंट से हुई, जिसने नेटिजन्स से पूछा कि “राजद की हार के मुख्य कारण क्या रहे?” इस पोस्ट को दो लाख 61 हज़ार से अधिक लोगों ने देखा और 2,100 लोगों ने इसे लाइक किया।
नेटिजन्स की प्रतिक्रिया
- सामाजिक गठजोड़ में कमजोरी:
यूजर विवेक श्रीवास्तव ने लिखा कि भाजपा-जदयू-लोजपा का गठजोड़ महागठबंधन की तुलना में मजबूत था, क्योंकि तीनों दलों के स्थायी वोट बैंक थे। महागठबंधन में असली आधार केवल राजद था और कांग्रेस सबसे कमजोर कड़ी साबित हुई। - गलत रणनीति और ध्रुवीकरण:
अगड़ा-पिछड़ा विभाजन करने की अनावश्यक रणनीति से रिवर्स पोलराइजेशन हुआ। पिछड़ों ने महागठबंधन के पक्ष में मजबूती से वोट नहीं दिया, जबकि अगड़ों ने एनडीए को समर्थन दिया। - प्रचार और सीट बंटवारे में कमी:
विवेक ने आगे लिखा कि सीट बंटवारे में देरी और चुनाव प्रचार में गंभीरता की कमी — टी-शर्ट पहनकर कार्यक्रम में जाना, कम बोलना — ने पूरी चुनावी मुहिम को कमजोर कर दिया। - जमीनी स्थिति और नेताओं की अकड़:
राजीव द्विवेदी ने कहा कि तेजस्वी यादव का समय बन रहा था, लेकिन जमीन पर जनता की तकलीफें ज्यादा और नेताओं की अकड़ अधिक दिखाई दी। दलित और ओबीसी की लड़ाई को सही तरीके से संभाला नहीं गया। - अन्य कारण:
नेटिजन्स ने हार के अन्य कारणों में जंगलराज की छवि, कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन में गलत सीट आवंटन, सरकारी नौकरी का जुमला, ईवीएम और वोटर लिस्ट में गड़बड़ी, संजय यादव और मनोज झा का पार्टी पर नियंत्रण, और तेजस्वी यादव का सही गठबंधन न करना शामिल बताया।
विशेष टिप्पणी
एक यूजर ने कहा कि अगर नीतीश कुमार महागठबंधन में होते तो वर्तमान परिणाम कमोबेश महागठबंधन के पक्ष में होते। वहीं, राहुल गांधी को यात्राओं में समय बर्बाद करने के बजाय डोर-टू-डोर कैंपेन करना चाहिए था।
निष्कर्ष:
नेटिजन्स के अनुसार, केंद्र में कमजोर गठबंधन, गलत रणनीति और प्रचार की कमी महागठबंधन की हार के प्रमुख कारण रहे। सोशल मीडिया पर इस बहस ने राजनीतिक विश्लेषकों और आम जनता को सोचने पर मजबूर कर दिया है।