Monday, November 24

बांग्लादेश में चुनाव से पहले जमात-ए-इस्लामी की हिंसक धमकियां, ISI के साथ गुप्त गठजोड़ का दावा

ढाका:
बांग्लादेश में अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले देश में सुरक्षा संबंधी गंभीर चेतावनी सामने आई है। स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय खुफिया सूत्रों के मुताबिक, कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी चुनाव के दौरान हिंसा और अफरा-तफरी फैलाने की योजना बना रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और जमात के बीच गुप्त गठजोड़ एक नरसंहार जैसी स्थिति पैदा कर सकता है। जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख डॉक्टर शफीकुर्रहमान ने खुले तौर पर चेतावनी दी है कि चुनाव और नेशनल रेफरेंडम के दिन भीषण हिंसा होने की संभावना है।

ISI का हस्तक्षेप और हथियार सप्लाई

बांग्लादेश के पत्रकार और सुरक्षा विश्लेषक सलाहुद्दीन शोएब चौधरी ने कहा कि ISI की आठ सदस्यीय टीम बांग्लादेश में सक्रिय है। ये टीम स्थानीय कंपनियों के माध्यम से हथियार और विस्फोटक जुटा रही है और भारत-बांग्लादेश सीमा के पास भी संपर्क साध रही है।

चौधरी के अनुसार, पाकिस्तान आर्मी के मौजूदा और रिटायर्ड अधिकारी इस ऑपरेशन में शामिल हैं। इसमें ब्रिगेडियर शोएब आसिफ खान, अफजाल अहमद खान, राजा इरफान यासीन, मुहम्मद अशरफ शाहिद, सैयद साकिब मुर्तजा, मोहम्मद मेराज, कर्नल वकार और उबेद उल्लाह शामिल हैं।

जमात-ए-इस्लामी का उठता साया

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के समय में जमात-ए-इस्लामी पर कई प्रतिबंध लगाए गए थे, जिससे संगठन की गतिविधियां सीमित थीं। लेकिन अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस की सरकार ने जमात को खुली छूट दी, जिससे संगठन ने रैलियां और सम्मेलन आयोजित करके अपनी ताकत दिखाई।

विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान की मदद से सक्रिय हुए कट्टरपंथी और मिलिटेंट ग्रुप चुनाव से पहले अफरा-तफरी मचाने के उद्देश्य से फंड, हथियार और विस्फोटक बांट रहे हैं। यह स्थिति बांग्लादेश और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकती है।


निष्कर्ष:
आगामी चुनाव से पहले बांग्लादेश में सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता को लेकर बड़ी चिंताएं हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ISI और जमात का गठजोड़ न सिर्फ बांग्लादेश बल्कि भारत सहित क्षेत्रीय देशों के लिए भी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।

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