
दुबई एयरशो में भारतीय लड़ाकू विमान तेजस के क्रैश और पायलट की मौत के बावजूद, भारत के रक्षा उद्योग की उम्मीदें अभी भी बरकरार हैं। ब्राजील की विशेषज्ञ पैट्रिशिया मारिंस का मानना है कि तेजस भविष्य के मुकाबले में भी अपनी ताकत दिखाएगा और अन्य अंतरराष्ट्रीय विमानों के साथ उत्कृष्ट तालमेल बनाए रखेगा।
क्रैश के बावजूद भरोसा बरकरार:
21 नवंबर को दुबई एयरशो में तेजस अचानक गिर गया और आग का गोला बन गया, जिसमें पायलट नमंश सयाल की जान चली गई। शुरुआती चिंता के बावजूद, विदेशी विशेषज्ञों का भरोसा तेजस पर बना हुआ है। ब्राजील की विशेषज्ञ पैट्रिशिया मारिंस ने कहा कि तेजस रडार पर कम दिखाई देता है और यह भारतीय वायु सेना के सुखोई Su-30MKI जैसे विमानों का बेहतरीन साथी है।
भविष्य की ताकत:
मारिंस के अनुसार, तेजस भविष्य में रूस के Su-57 और यूरोप के Dassault Rafale और Saab Gripen जैसे विमानों के साथ आसानी से ऑपरेशन कर सकेगा। उन्होंने जोर दिया कि हवाई युद्ध में विजयी होने के लिए लंबी दूरी की मिसाइल और रडार की सटीकता महत्वपूर्ण है, और तेजस इस लिहाज से उत्कृष्ट है।
तेजस की खासियतें:
- डेल्टा-विंग डिज़ाइन और कंपोजिट मटेरियल के कारण रडार पर कम दिखाई देता है।
- आगामी रडार गैलियम नाइट्राइड (GaN) मॉड्यूल से लैस होगा, जो दूर तक पहचान और जैमिंग का मुकाबला करने में मदद करेगा।
- स्वदेशी Mk-1, Mk-1A और Mk-2 संस्करण, बेहतर AESA रडार और डिजिटल फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम के साथ होंगे।
भारत का आत्मनिर्भर जेट:
तेजस Mk-1 भारत का स्वदेशी मल्टीरोल फाइटर है, जिसे एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) ने विकसित किया और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) इसका निर्माण करती है। वर्तमान में भारतीय वायु सेना के दो स्क्वाड्रन में 40 विमान सेवा में हैं। Mk-1A की डिलीवरी 2027 में शुरू होने की संभावना है और Mk-2 2030 तक सेवा में आएगा।
HAL का भरोसा:
HAL के चेयरमैन डीके सुनील ने कहा, “तेजस दुनिया के सबसे सुरक्षित लड़ाकू विमानों में से एक है। इसका रिकॉर्ड इसकी ताकत का प्रमाण है। यह भारत की तकनीकी क्षमता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।”
निष्कर्ष:
दुबई एयरशो का हादसा केवल एक झटका था, तेजस की तकनीकी क्षमता और भारतीय रक्षा उद्योग की सफलता पर इसका असर नहीं पड़ा। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का भरोसा इस बात का संकेत है कि तेजस भविष्य में भी अपनी उड़ान और दबदबा बनाए रखेगा।