
बागपत।
उत्तर प्रदेश के बागपत जनपद के छोटे से गांव ट्यौढ़ी से निकलकर राष्ट्रीय मंच तक अपनी पहचान बनाने वाले अमन कुमार ने यह साबित कर दिया है कि सीमित संसाधन भी बड़े सपनों की राह नहीं रोक सकते। कभी साइकिल पर गांव-गांव अखबार बेचने वाले अमन आज देश के एकमात्र ‘आई वॉलंटियर यूथ चैंपियन पुरस्कार 2025’ से सम्मानित किए गए हैं। यह सम्मान प्रति वर्ष पूरे देश में केवल एक युवा को दिया जाता है और पहली बार यह गौरव उत्तर प्रदेश के खाते में आया है।
संघर्षों से गढ़ी सोच
अमन कुमार का बचपन आर्थिक तंगी और सामाजिक असमानताओं के बीच बीता। पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्होंने कम उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया। अखबार बेचते हुए उन्होंने न सिर्फ गरीबी को करीब से देखा, बल्कि यह भी समझा कि जानकारी और अवसरों की कमी कैसे युवाओं के सपनों को सीमित कर देती है। यही अनुभव उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट बना।
सुरक्षित नौकरी छोड़ी, सेवा को चुना
आईटी सेक्टर में बेहतर करियर की संभावनाओं के बावजूद अमन ने सुरक्षित नौकरी छोड़कर स्वयंसेवा का रास्ता चुना। उनका मानना था कि जब तक गांवों और दूरदराज इलाकों तक सही जानकारी नहीं पहुंचेगी, तब तक असमानता खत्म नहीं हो सकती।
‘कॉन्टेस्ट 360’: अवसरों का डिजिटल सेतु
इसी सोच से जन्म हुआ प्रोजेक्ट ‘कॉन्टेस्ट 360’, एक डिजिटल प्लेटफॉर्म, जो शिक्षा, प्रतियोगी परीक्षाओं और करियर से जुड़े अवसरों की जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध कराता है। आज यह मंच 83 लाख से अधिक युवाओं तक पहुंच चुका है और ग्रामीण भारत के लिए नई संभावनाओं का द्वार खोल रहा है।
प्रशासन के साथ नवाचार
अमन का योगदान केवल डिजिटल प्लेटफॉर्म तक सीमित नहीं रहा। बागपत प्रशासन के साथ मिलकर उन्होंने कांवड़ यात्रा ऐप, स्वीप बागपत ऐप, सूचना सेतु और बागपत फॉर एनिमल्स जैसे ई-गवर्नेंस नवाचारों में अहम भूमिका निभाई। इन प्रयासों से नागरिक सेवाओं की पारदर्शिता और पहुंच दोनों बढ़ी हैं।
राष्ट्रीय मंच पर पहचान
देशभर से चुने गए टॉप-10 युवाओं में स्थान पाने के बाद मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय समारोह में अमन कुमार को आई वॉलंटियर यूथ चैंपियन घोषित किया गया। जनपद लौटने पर सांसद डॉ. राजकुमार सांगवान और जिलाधिकारी आईएएस अस्मिता लाल ने उन्हें सम्मानित किया और जिले के युवाओं के लिए प्रेरणा बताया।
इसके बाद युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय ने नई दिल्ली स्थित ‘माय भारत’ मुख्यालय में उनके कार्यों की सराहना की। उन्हें उत्तर प्रदेश के लिए ‘माय भारत यूथ मेंटर’ के रूप में भी चुना गया है।
गांव से वैश्विक मंच तक
अमन कुमार यूनिसेफ, यूनेस्को सहित कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों से जुड़े रहे हैं। वे 78वें और 79वें स्वतंत्रता दिवस पर भारत सरकार के विशेष युवा अतिथि रहे। उत्तर प्रदेश सरकार उन्हें स्वामी विवेकानंद राज्य युवा पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी है। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के मार्गदर्शन में उन्होंने सत्यार्थी समर स्कूल में भी भाग लिया है।
ग्रामीण भारत की नई तस्वीर
संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2026 को ‘इंटरनेशनल ईयर ऑफ वॉलंटियर्स फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ घोषित किए जाने के बीच अमन कुमार का यह सम्मान बताता है कि स्वयंसेवा अब केवल सेवा नहीं, बल्कि नीति, प्रशासन और विकास से जुड़ा एक सशक्त माध्यम बन चुकी है।
अमन कुमार की कहानी इस बात का प्रमाण है कि जब स्थानीय समस्याओं को समझकर समाधान गढ़े जाते हैं, तो गांवों से भी राष्ट्रीय बदलाव की अगुवाई संभव है—शांत तरीके से, लेकिन स्थायी प्रभाव के साथ।