Wednesday, December 24

राजस्थान का ‘चाणक्य’: राजा सूरजमल की कूटनीति और वीरता ने मुगलों का दम तोड़ा

 

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भरतपुर (राजस्थान): राजस्थान के भरतपुर रियासत के राजा सूरजमल को इतिहास में ‘जाटों का अफलातून’ और राजस्थान का चाणक्य कहा जाता है। 1745 से 1763 तक राज्य करने वाले सूरजमल अपनी दूरदर्शिता, कुशल रणनीति और कूटनीति के लिए प्रसिद्ध थे। वे अपने समय के सबसे प्रभावशाली और विजयी राजा रहे, जिन्होंने मुगल शासकों को भी डर में डाल दिया।

 

सूरजमल ने न केवल सैन्य शक्ति बल्कि राजनीतिक कौशल का भी अद्भुत मिश्रण अपनाया। उन्होंने यह तय किया कि कब गठबंधन बनाना है, कब आक्रमण करना है और कब संधि कर संभावित खतरों से निपटना है। अपने सैनिकों में संतुष्टि और निष्ठा बनाए रखने के लिए वे दुश्मन के खजाने और रसद को अपने सैनिकों में बाँटते थे। यही वजह है कि उन्होंने करीब 80 लड़ाइयाँ लड़ीं और सभी में विजय प्राप्त की।

 

फ्रांसीसी सैनिकों से सीखें आधुनिक युद्ध कला

1753 तक सूरजमल भारत के शक्तिशाली शासकों में शुमार हो चुके थे। उनकी सेना में 75 हजार पैदल और 38 हजार घुड़सवार सैनिक थे। उन्होंने भाड़े पर फ्रांसीसी सैनिक रखकर यूरोपीय युद्धनीति अपनाई और गतिशील तोपखाना अपने घुड़सवार सेना में शामिल किया।

 

दिल्ली पर प्रभावशाली नियंत्रण

1748 में मुगल शासक मुहम्मद शाह की मृत्यु और उसके बाद दिल्ली में सत्ता संघर्ष के दौरान, सूरजमल ने सफदरजंग के साथ मिलकर मार्च 1753 में दिल्ली को घेर लिया। मई 1753 में उन्होंने फिरोजशाह कोटला पर अधिकार कर लिया और मुगलों को बुरी तरह परास्त किया। सूरजमल की चालाकी ने मुगलों को झांसा देकर खुले मैदान में खड़ा कर दिया, जहां उनके तोपखाने ने घेराबंदी कर मुगल सेना में भगदड़ मचा दी।

 

1761 में आगरा का किला जीतकर इतिहास रचा

सूरजमल ने 1761 में आगरा के किले पर कब्जा किया। किले को पवित्र करने के लिए इसे गंगाजल से धोकर हवन किया गया और सभी मुगल चिह्न हटा दिए गए। इस किले पर भरतपुर के राजाओं का अधिकार 1774 तक कायम रहा।

 

राजा सूरजमल की दूरदर्शिता, साहस और कूटनीति उन्हें भारत के महानतम हिंदू शासकों में एक मानती है। वे केवल भरतपुर के नहीं, बल्कि पूरे भारत के गौरव हैं।

 

 

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