
बूंदी, 24 दिसंबर 2025: राजस्थान के टाइगर रिजर्व में बाघों के जेनेटिक बेस को मजबूत बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया गया है। इसी दिशा में मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व से एक बाघिन को बूंदी स्थित रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में ट्रांसलोकेट किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य क्रॉस-ब्रीडिंग के माध्यम से स्वस्थ और मजबूत बाघों की संख्या बढ़ाना है।
देश का पहला इंटर-स्टेट टाइगर ट्रांसलोकेशन
देश में 58 टाइगर रिजर्व हैं, जिनमें छह राजस्थान में हैं। रणथंभौर, सरिस्का, मुकंदरा और रामगढ़ टाइगर रिजर्व में अब तक बाघ एक ही फैमिली लाइन से थे। इसी कारण जीन पूल सीमित होता जा रहा था। इसे सुधारने के लिए रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में देश का पहला इंटर-स्टेट ट्रांसलोकेशन किया गया, जिसमें दूसरे राज्य से बाघिन लाई गई।
क्रॉस-ब्रीडिंग से होंगे मजबूत बाघ
रामगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर सुगमाराम जाट ने बताया कि राजस्थान के बाघ अधिकांशतः रणथंभौर से शिफ्ट किए गए थे और ये सभी एक ही वंश के थे। दूसरे राज्य से बाघिन लाने का उद्देश्य क्रॉस-ब्रीडिंग करना है, ताकि जेनेटिक विविधता बढ़े और आने वाली पीढ़ी के बाघ स्वस्थ और मजबूत हों।
एयरलिफ्ट कर लाई गई बाघिन
मध्यप्रदेश से लाई गई तीन वर्षीय बाघिन को रविवार रात एयरलिफ्ट कर रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के एंक्लोजर में रखा गया है। फिलहाल उसके मूवमेंट और व्यवहार पर नजर रखी जा रही है। अनुकूल स्थिति बनने पर इसे खुले जंगल में छोड़ा जाएगा।
रामगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की स्थिति
पेंच टाइगर रिजर्व से बाघिन के आने के बाद रामगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या आठ हो गई है। इसमें पांच बाघिन, दो नर बाघ और एक शावक शामिल है।
| श्रेणी | संख्या | आयु विवरण |
| ———- | —— | —————————————————————————- |
| कुल बाघ | 8 | 15 माह से 9 वर्ष |
| मादा बाघिन | 5 | 3 बाघिन: 2.5 से 3 वर्ष, 1 बाघिन (RVT-3): 5-6 वर्ष, 1 बाघिन (RVT-1): 8-9 वर्ष |
| नर बाघ | 2 | 1 नर: 3 वर्ष, 1 नर: 8-9 वर्ष |
| नर शावक | 1 | लगभग 15 माह |
मुकंदरा टाइगर रिजर्व की तैयारी
रामगढ़ के बाद अब कोटा स्थित मुकंदरा टाइगर रिजर्व में भी मध्यप्रदेश के कान्हा या बांधवगढ़ से बाघिन लाई जाएगी। यह प्रक्रिया एनटीसीए की अनुमति के बाद पूरी की जाएगी।
इनब्रीडिंग से खतरा बढ़ता है
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि एक ही जीन पूल के बाघों में इनब्रीडिंग का खतरा रहता है, जिससे जेनेटिक बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। राजस्थान में यह कदम बाघों के स्वास्थ्य और जेनेटिक मजबूती के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।