Monday, December 22

100 वर्ष बाद नई पहल: गीता प्रेस ने शुरू की फ्रेंचाइजी योजना, नेपाल के बुटवल से हुई शुरुआत

गोरखपुर। विश्वभर में धार्मिक और आध्यात्मिक साहित्य के लिए विख्यात गीता प्रेस ने अपने स्वर्णिम 100 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। गीता प्रेस ने पहली बार फ्रेंचाइजी योजना की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य अपने आदर्शों और मूल्यों की रक्षा करते हुए आध्यात्मिक साहित्य को अधिक से अधिक पाठकों तक पहुंचाना है। इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत पड़ोसी देश नेपाल के बुटवल शहर से की गई है।

This slideshow requires JavaScript.

गीता प्रेस प्रबंधन के अनुसार, फ्रेंचाइजी योजना को सख्त और स्पष्ट शर्तों के साथ लागू किया गया है, ताकि संस्था की पहचान, गुणवत्ता और विश्वसनीयता से कोई समझौता न हो। फ्रेंचाइजी लेने वाले व्यक्ति के पास अपनी स्वयं की दुकान होना अनिवार्य होगा। शोरूम में केवल गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित धार्मिक और आध्यात्मिक पुस्तकें ही रखी जाएंगी। किसी अन्य प्रकाशन या विक्रेता की पुस्तकें वहां बिक्री के लिए नहीं रखी जा सकेंगी।

एक्सक्लूसिव शोरूम की शर्त
दुकान के बाहर गीता प्रेस का अधिकृत बोर्ड लगाया जाएगा, जिस पर स्पष्ट रूप से “एक्सक्लूसिव बुक शोरूम” अंकित होगा। इसके साथ ही एक शहर में केवल एक ही फ्रेंचाइजी शोरूम खोला जाएगा, जिससे संचालकों को आर्थिक रूप से अधिक लाभ मिल सके और वे पूरी निष्ठा के साथ गीता प्रेस के साहित्य का प्रचार-प्रसार कर सकें।

बुकसेलरों को मिलेगी अतिरिक्त छूट
इस योजना के तहत फ्रेंचाइजी संचालकों को सामान्य बुकसेलरों की तुलना में 6 प्रतिशत अधिक छूट दी जाएगी। गीता प्रेस का मानना है कि इससे न केवल बिक्री को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि धार्मिक साहित्य के प्रति पाठकों की रुचि भी और अधिक मजबूत होगी।

धीरेधीरे होगा विस्तार
गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि तिवारी ने बताया कि निर्धारित शर्तों को पूरा करने वाला कोई भी इच्छुक व्यक्ति इस फ्रेंचाइजी योजना के लिए आवेदन कर सकता है। गीता प्रेस का उद्देश्य अपने मूल सिद्धांतों को सुरक्षित रखते हुए भारत और नेपाल सहित अन्य क्षेत्रों में भी अपने प्रकाशनों की पहुंच बढ़ाना है। बुटवल से शुरू हुई यह पहल आने वाले समय में नेपाल और भारत के कई शहरों तक विस्तार पाएगी।

गीता प्रेस की यह नई फ्रेंचाइजी योजना धार्मिक और आध्यात्मिक साहित्य के क्षेत्र में एक नए अध्याय की शुरुआत मानी जा रही है, जिससे पाठकों और बुकसेलरों—दोनों को लाभ मिलने की उम्मीद है।

 

Leave a Reply