
बदायूं (उत्तर प्रदेश): उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले का ऐतिहासिक गांव निजामुद्दीनपुर शाह अब अपने पुरातात्विक और सांस्कृतिक इतिहास के कारण चर्चा में है। मुगल काल से जुड़े इस गांव का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है, वहीं हाल ही में कुछ ग्रामीण नाम बदलने की मांग को लेकर आवाज उठा रहे हैं।
मुगल काल से गांव का नाम
गांव के 80 वर्षीय बुजुर्ग श्यामलाल मौर्य बताते हैं कि निजामुद्दीनपुर शाह का नाम मुगल शासन काल से चला आ रहा है। वर्ष 1857 के गदर के समय यहां मुस्लिम आबादी अधिक थी। उस दौर में हालात बिगड़ने पर कई मुस्लिम परिवार दिल्ली के निजामुद्दीनपुर मोहल्ले और उत्तर प्रदेश के नगीना-धामपुर क्षेत्र में चले गए।
खुदाई में मिले भगवान राम-सीता के सिक्के
ग्रामीणों के अनुसार गांव में पुराने खेड़ों की खुदाई के दौरान 1417 अंकित सिक्के मिले, जिन पर भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा अंकित थी, उनके चरणों में हनुमान जी विराजमान थे। ग्रामीण इसे गांव के प्राचीन और सांस्कृतिक इतिहास से जोड़ते हैं और मानते हैं कि गांव का अतीत सिर्फ मुगल काल तक ही सीमित नहीं है।
दिल्ली और नगीना में भी चर्चा
गांव से पलायन कर चुके परिवारों के बुजुर्ग अब भी दिल्ली के रेलवे स्टेशन के पास निजामुद्दीनपुर मोहल्ला और नगीना-धामपुर क्षेत्र में रहते हैं। वे यहां आए दिन अपने पुराने गांव से जुड़े इतिहास और संबंधों की बातें साझा करते हैं।
वर्तमान स्थिति और समस्याएं
आज गांव में मुस्लिम आबादी लगभग 300 के आसपास है, जबकि हिंदू आबादी 4,000 से अधिक है। ग्रामीण आशुतोष पाठक और हरिद्वारीलाल बताते हैं कि गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी है। बच्चों के लिए आसपास कोई इंटर कॉलेज नहीं है, जिससे उन्हें इंटर की पढ़ाई के लिए लगभग 10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।
नाम बदलने की मांग
हाल ही में गांव के कुछ लोगों ने नाम बदलाव की मांग शुरू कर दी है। उनका तर्क है कि वर्तमान में गांव में हिंदू आबादी बहुसंख्यक है, इसलिए नाम बदलकर इसे वर्तमान सामाजिक संरचना के अनुरूप किया जाना चाहिए। प्रशासन से इस मामले में विचार करने की अपील की जा रही है।
गांव के ऐतिहासिक महत्व और वर्तमान सामाजिक स्थिति के कारण निजामुद्दीनपुर शाह अब चर्चा का केंद्र बन गया है।