
नई दिल्ली: क्वाड (Quad) समूह की बैठकों में आतंकवाद के खिलाफ अभियान में अमेरिका का दोगलापन उजागर हुआ है। अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा हाल ही में जारी दस्तावेज़ से यह साफ हो गया कि अमेरिका आतंकवाद के मुद्दे पर अपनी कथनी और करनी में अंतर रख रहा है।
क्वाड में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। इस साल भारत ने पहलगाम में भयावह आतंकवादी हमला झेला, जबकि ऑस्ट्रेलिया ने बोंडी बीच पर आतंकी हमला देखा। बावजूद इसके, अमेरिकी प्रशासन ने आतंकवाद पर सहयोग की बात छोड़ दी, जबकि अन्य क्षेत्रों जैसे समुद्री सुरक्षा, आर्थिक समृद्धि, उभरती तकनीक और मानवीय सहायता में सहयोग बढ़ाने की बातें की गई।
क्वाड बैठक और आतंकवाद
4–5 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में क्वाड काउंटर टेररिज्म वर्किंग ग्रुप (CTWG) की तीसरी बैठक हुई। इसमें सभी सदस्य देशों ने सीमा-पार आतंकवाद की स्पष्ट निंदा की और 10 नवंबर 2025 को लाल किले के पास हुए आतंकवादी हमले पर श्रद्धांजलि व्यक्त की। बैठक में आतंकियों और उनके आकाओं को न्याय के कटघरे में लाने की मांग भी उठाई गई।
अमेरिका का दोहरा रवैया
हालांकि जुलाई 2025 में क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में अमेरिका समेत सभी देशों ने आतंकवाद के खिलाफ प्रतिबद्धता जताई, लेकिन हाल के दस्तावेज़ में आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट कदम नहीं दिखाए गए। इससे यह स्पष्ट हो गया कि अमेरिका की कथनी और करनी में अंतर है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस दौरान साफ कहा कि भारत अपनी जनता को आतंकवाद से बचाने का पूरा अधिकार रखता है और उसे यह अधिकार इस्तेमाल करना चाहिए। इसी क्रम में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका का दोगलापन क्वाड में भारत की सुरक्षा प्राथमिकताओं के लिए चुनौती पेश कर रहा है। भारत ने अब इस अंतर को उजागर कर अपनी नीति और सुरक्षा दृष्टिकोण को और अधिक सशक्त किया है।