
वॉशिंगटन (अभिजात शेखर आजाद) – अमेरिका में नौकरी का सपना देखने वाले H-1B और उनके आश्रित H-4 वीजा धारकों के लिए अब सोशल मीडिया एक बड़ा जोखिम बन गया है। अमेरिकी प्रशासन ने आज से एक नया अभियान शुरू किया है, जिसमें वीजा आवेदकों के सोशल मीडिया अकाउंट्स की गहराई से जांच की जाएगी।
वीजा कोई अधिकार नहीं, बल्कि विशेषाधिकार
अमेरिकी विदेश विभाग ने स्पष्ट किया है कि वीजा किसी का अधिकार नहीं है, बल्कि यह केवल एक विशेषाधिकार है। विभाग ने कहा कि प्रत्येक वीजा आवेदन को राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से समीक्षा की जाती है। अब तक यह जांच मुख्य रूप से छात्रों (F, M व J वीजा) तक सीमित थी, लेकिन इसे अब H-1B और H-4 श्रेणी के सभी आवेदकों तक बढ़ा दिया गया है।
सोशल मीडिया पोस्ट पर सख्ती
नई गाइडलाइन के तहत आवेदकों के सोशल मीडिया प्रोफाइल की समीक्षा की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अमेरिका के हितों को नुकसान पहुंचाने, हिंसा, कट्टरपंथ या अवैध गतिविधियों में शामिल होने की मंशा नहीं रखते। अमेरिकी विदेश विभाग ने सलाह दी है कि आवेदक अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल की प्राइवेसी सेटिंग्स सार्वजनिक (Public) रखें, ताकि जांच आसान हो सके।
भारतीय पेशेवरों पर असर
इस फैसले का सबसे बड़ा असर भारत समेत अन्य देशों के प्रोफेशनल्स पर पड़ सकता है। H-1B वीजा धारकों में सबसे बड़ी संख्या भारतीय नागरिकों की है। अमेरिका की आईटी, स्वास्थ्य और अन्य प्रोफेशनल सेक्टर में काम कर रहे हजारों भारतीय इंजीनियर, आईटी विशेषज्ञ और डॉक्टर अब इस जांच के दायरे में आए हैं। कई वीजा इंटरव्यू को फिर से रीशेड्यूल किया गया है, जिससे अमेरिका जाने की योजनाओं में देरी और अनिश्चितता पैदा हो सकती है।
राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर सख्ती
अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि यह कदम राष्ट्रीय और सार्वजनिक सुरक्षा के हित में उठाया गया है और यह H-1B/H-4 वीजा प्रक्रिया को और सख्त बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।