
बॉलीवुड के महान अभिनेता धर्मेंद्र के निधन के बाद एक सवाल हर किसी के मन में चुभता रहा—आखिर देओल परिवार ने उनका अंतिम संस्कार इतनी सादगी और चुपचाप क्यों किया? क्यों उनके करोड़ों चाहने वालों को अंतिम दर्शन करने का अवसर नहीं दिया गया? अब इस प्रश्न का उत्तर उस व्यक्ति ने दिया है, जो धरम जी का जिगरी फैन रहा है और हाल ही में उनकी 90वीं जयंती पर उनके घर भी पहुंचा था।
फैन ने खोला राज़—धरम जी ने बेटों से पहले ही कह दी थी अंतिम इच्छा
धर्मेंद्र के विशेष प्रशंसक अंजुल सिरोही देओल ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि धर्मेंद्र ने अपने बेटों—सनी और बॉबी देओल—से पहले ही कह दिया था:
“बेटों, मुझे इस दुनिया से सादगी से विदा करना… जैसे मैं पंजाब से मुंबई आया था, उसी सादगी से मुझे यहां से विदा किया जाए।”
अंजुल के अनुसार, देओल परिवार ने पिता की अंतिम इच्छा का सम्मान किया। उसी कारण उनका अंतिम संस्कार बेहद शांत और निजी रूप से किया गया। इस फैसले से परिवार खुद भी अंदर से टूट चुका था, लेकिन उन्होंने धर्मेंद्र की इच्छा को सबसे ऊपर रखा।
धरम जी की 90वीं बर्थ एनिवर्सरी—घर पर भरा भावुक माहौल
8 दिसंबर को धर्मेंद्र की 90वीं जयंती थी। इस मौके पर देओल परिवार ने फैंस के लिए दरवाज़े खोले और उनके घर पर एक विशेष मुलाकात का आयोजन किया। देश भर से आए चुनिंदा फैंस में अंजुल सिरोही भी शामिल थे।
अंजुल लिखते हैं:
“घर के अंदर कदम रखते ही माहौल भावुकता से भरा हुआ था। मैंने धरम जी की विशाल प्रतिमा को श्रद्धांजलि दी। जब पीछे मुड़ा तो सनी सर और बॉबी सर सामने खड़े थे… मैं खुद को रोक नहीं पाया और फूट-फूटकर रो पड़ा।”
बॉबी देओल ने उनके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा:
“अंजुल… प्लीज़ कंट्रोल योरसेल्फ।”
अंजुल के अनुसार, बॉबी के शब्दों में छिपे दर्द को महसूस किया जा सकता था। पूरा देओल परिवार अब भी सदमे में है, परंतु फैंस को सम्मान देने के लिए उन्होंने अपना दिल बड़ा रखा।
फैन की भावना—“मुझ गरीब पर जो रहम किया, सब लूट लिया”
अंजुल ने भावुक होकर लिखा:
“मैं उस परिवार का आभारी हूं, जिसने मुझे अपना समझा। यह जयंती बहुत भावुक थी… धरम जी जहां भी हों, हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे। मुझ गरीब पर जो रहम किया, मेरे पास जो था—सब लूट लिया।”
क्यों था चुपचाप अंतिम संस्कार? अब स्पष्ट है जवाब
- यह देओल परिवार का फैसला नहीं था, बल्कि धर्मेंद्र की अंतिम इच्छा थी।
- वे जीवनभर की तरह अपनी विदाई भी सादगी से चाहते थे।
- इसी कारण बिना भीड़-भाड़, बिना राजकीय सम्मान, उनके पार्थिव शरीर का शांतिपूर्वक अंतिम संस्कार किया गया।
धर्मेंद्र भले ही दुनिया से विदा हो गए हों, लेकिन उनके फैंस और परिवार के दिलों में वे हमेशा अमर रहेंगे।