
बरेली–पिपरिया स्टेट हाईवे पर स्थित नयागांव पुल सोमवार को मरम्मत कार्य के दौरान अचानक ढह गया। हादसे में पूर्व सीआरपीएफ जवान देवेंद्र धाकड़ की मौत हो गई, जबकि कामगारों और राहगीरों सहित कई लोग घायल हुए। यह पुल वर्ष 1980 में बनाया गया था और हाल ही में किए गए सर्वेक्षण में इसमें गंभीर संरचनात्मक खामियां सामने आई थीं। इन खामियों को दूर करने के लिए 98 लाख रुपये की लागत से मरम्मत का काम चल रहा था।
कैसे हुआ हादसा?
हादसा तब हुआ जब पुल के बरेली की ओर वाले हिस्से पर मरम्मत का काम जारी था। इसी दौरान दो मोटरसाइकिलों पर सवार चार लोग पुल पार कर रहे थे। पुल अचानक भरभरा कर नीचे गिर गया, जिससे बाइक सवार लोग भी मलबे के साथ नीचे आ गिरे।
गंभीर रूप से घायल पूर्व सीआरपीएफ जवान देवेंद्र धाकड़ को भोपाल रैफर किया गया, जहां उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई।
पुल की कमजोरियां पहले ही उजागर थीं
सर्वे में सामने आया कि—
- पुल की स्लैब के भीतर की लोहे की सरिया पूरी तरह जंग खा चुकी थी
- एक्सपेंशन जॉइंट मलबे से जाम थे
- सुरक्षा रेलिंग और किनारे की दीवारों में टूट-फूट थी
इन चेतावनियों के बावजूद, मरम्मत के दौरान भी पुल पर ट्रैफिक चलता रहा, और इसी लापरवाही ने बड़ा हादसा पैदा कर दिया।
मजदूर भी आए चपेट में
पुल पर उस समय आठ मजदूर काम कर रहे थे। हादसे में कम से कम 10 लोग घायल हुए हैं।
भोपाल के डीजीएम ईश्वर सिंह चंदेल ने बताया,
“यह 40-42 साल पुराना पुल था। इसकी उम्र और जर्जर हालत के कारण ही यह दुर्घटना हुई। रोजाना इस पर भारी यातायात गुजरता था और हादसा अचानक हुआ।”
जिम्मेदारी तय — फील्ड स्टाफ मैनेजर निलंबित
घटना के बाद पुल के रखरखाव के जिम्मेदार फील्ड स्टाफ मैनेजर ए.ए. खान को निलंबित कर दिया गया। मुख्य अभियंता गोपाल सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई है, जो सात दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी।
वरिष्ठ जिला अधिकारी, कलेक्टर और एसपी ने भी मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया।
इस बीच एमपी रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (MPRDC) की टीम क्षतिग्रस्त हिस्से पर अस्थायी सड़क बनाकर आवागमन बहाल करने में जुटी है।
हादसे पर राजनीति तेज
घटना को लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है।
कांग्रेस नेता जयवर्धन सिंह ने आरोप लगाया कि “भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार और लापरवाही का नतीजा है यह हादसा।”
कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने पुल निर्माण और रखरखाव में अनियमितताओं की जांच की मांग की।
वहीं, मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि घटना की जानकारी मिलते ही MPRDC अधिकारियों से बात की गई है और जांच के आदेश जारी किए जा चुके हैं।
1980 का पुल, 98 लाख की मरम्मत — फिर भी क्यों ढहा?
नयागांव पुल को 1980 में लोक निर्माण विभाग ने बनाया था।
नए सर्वे के बाद मरम्मत और पुनर्निर्माण के लिए 98 लाख रुपये मंजूर किए गए थे।
रिपोर्टों में स्पष्ट रूप से संरचनात्मक कमजोरियां बताई गई थीं, लेकिन ट्रैफिक रोके बिना मरम्मत कार्य जारी रखना हादसे की बड़ी वजह बन गया।