
भोपाल: मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र सोमवार (1 दिसंबर) से शुरू हो रहा है। पांच दिन चलने वाले इस सत्र में कुल चार बैठकें प्रस्तावित हैं और सरकार दो अहम बिल पेश करने की तैयारी में है। विपक्ष ने पहले ही रणनीति बना ली है और सत्र हंगामेदार रहने की संभावना है।
विपक्ष की रणनीति
कांग्रेस ने सत्र से पहले विधायक दल की बैठक कर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि सरकार किसानों, युवाओं और आम जनता के मुद्दों से लगातार मुंह मोड़ रही है। शीतकालीन सत्र में कांग्रेस खाद की किल्लत, भर्ती घोटाले, छिंदवाड़ा कफ सिरप मौत प्रकरण और इंदौर एमवाय हॉस्पिटल में बच्चों को चूहों के काटने जैसी घटनाओं को मुद्दा बना सकती है।
सरकार के प्रस्तावित बिल
सत्र में सरकार नगरपालिका अध्यक्षों के सीधे चुनाव से संबंधित विधेयक पेश कर सकती है। नए प्रावधान के अनुसार, अध्यक्षों को सीधे जनता चुनेगी और असंतोष की स्थिति में उन्हें वापस बुलाने की प्रक्रिया भी शुरू होगी। वर्तमान में नगर पालिका अध्यक्ष चुने हुए पार्षदों द्वारा चयनित होते हैं।
दूसरे बिल के तहत दुकान एवं स्थापना अधिनियम 1956 में संशोधन किया जाएगा। इसके लागू होने के बाद राज्य में दुकान, होटल, रेस्टोरेंट या कोई भी अन्य कमर्शियल यूनिट खोलने के लिए अब ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी और लेबर डिपार्टमेंट के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
सत्र हंगामेदार रहने की उम्मीद
पांच दिन में चार बैठकों और दो अहम बिलों के बीच विपक्ष सरकार पर लगातार दबाव बनाए रखने की योजना बना रहा है। यह सत्र न केवल कानून-व्यवस्था और स्वास्थ्य व्यवस्था पर बहस का मैदान बनेगा, बल्कि भविष्य की राजनीति के संकेत भी देगा।