
नई दिल्ली: कई महिलाएं कभी-कभी अपने काम का महत्व समझ नहीं पातीं और खुद को कम आंकती हैं, खासकर तब जब वे घर पर गृहिणी के रूप में परिवार संभालती हैं। कुछ महिलाएं कहती हैं, “मैं तो बस एक हाउसवाइफ हूं।” ऐसे में आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु की हाल ही में कही गई बातें हर महिला के लिए प्रेरणास्रोत साबित हो सकती हैं।
🔹 सद्गुरु का संदेश
सद्गुरु ने इंस्टाग्राम वीडियो में कहा कि दो या तीन बच्चों को जन्म देकर उनका पालन-पोषण करना एक पूर्णकालिक और अत्यंत महत्वपूर्ण काम है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह गृहिणी का काम किसी भी नौकरी से कम नहीं है। यदि महिला चाहती है तो व्यक्तिगत रूप से अन्य काम भी कर सकती है, लेकिन घर पर बच्चों का पोषण और पालन-पोषण करना खुद में एक बड़ी जिम्मेदारी है।
🔹 आने वाली दुनिया और माताओं की भूमिका
सद्गुरु ने आगे कहा कि बच्चों को जन्म देना और उनका पालन-पोषण सिर्फ उनकी जन्म तक सीमित नहीं है। आज की माताएं अगले पीढ़ी का निर्माण कर रही हैं, और आने वाली दुनिया उनके कार्य पर निर्भर करेगी। यही कारण है कि गृहिणियों का काम समाज और भविष्य के लिए अत्यंत मूल्यवान है।
🔹 महत्व और गर्व
सद्गुरु ने यह भी बताया कि कई महिलाएं उनसे मिलकर कहती हैं, “मैं तो बस गृहिणी हूं।” सद्गुरु उनसे पूछते हैं, “आप ऐसा क्यों कहती हैं?” उनका जवाब है कि दो या तीन नए जीवन को पोषित करना सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण कार्य है। इससे बड़ा कोई काम नहीं हो सकता।
🔹 संदेश
सद्गुरु की यह बात हर महिला को यह समझने में मदद करती है कि गृहिणी होना कोई छोटा काम नहीं है। घर, परिवार और बच्चों का पालन-पोषण समाज की नींव मजबूत करने के बराबर है। हर महिला को अपने इस काम पर गर्व होना चाहिए।