
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्ष द्वारा लगाए गए ‘वोट चोरी’ और धांधली के आरोप तथ्यहीन साबित हुए हैं। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि न तो ईवीएम जांच और न ही रीपोलिंग के लिए किसी विपक्षी दल या हारने वाले उम्मीदवार ने एक भी आवेदन दर्ज कराया। आयोग के इस आधिकारिक बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में उठे संदेहों पर विराम लग गया है।
EVM की जांच के लिए एक भी रिक्वेस्ट नहीं—आयोग
चुनाव आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 243 विधानसभा क्षेत्रों में से किसी भी हारने वाले उम्मीदवार ने ईवीएम की बर्न मेमोरी या माइक्रोकंट्रोलर की जांच के लिए निर्धारित समय सीमा के भीतर कोई अनुरोध नहीं किया।
यह वही प्रक्रिया है जिसे सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद 17 जून को जारी संशोधित SOP के तहत अनिवार्य किया गया था।
आयोग ने कहा—
“दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे उम्मीदवार चाहें तो परिणाम घोषित होने के सात दिनों के भीतर सत्यापन की मांग कर सकते थे, लेकिन बिहार में किसी ने भी ऐसा नहीं किया।”
मतदाता सूची पर भी नहीं आई कोई शिकायत
चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य के 38 जिलों में विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद मतदाता सूची में गलत तरीके से नाम शामिल या बाहर किए जाने के संबंध में भी कोई अपील दर्ज नहीं हुई।
इसी तरह 2,616 उम्मीदवारों और किसी भी राजनीतिक पार्टी ने रीपोलिंग (पुनर्मतदान) की मांग नहीं की।
VVPAT मिलान में नहीं मिली कोई विसंगति
आयोग के सहायक निदेशक अपूर्व कुमार सिंह ने बताया कि हर विधानसभा क्षेत्र के पांच यादृच्छिक मतदान केंद्रों (कुल 1,215 केंद्र) पर वीवीपीएटी पर्चियों का मिलान किया गया, जिसमें ईवीएम गणना से एक भी विसंगति नहीं पाई गई।
चुनाव आयोग का पारदर्शिता पर जोर
आयोग ने कहा कि इस बार चुनाव में कई ऐतिहासिक कदम उठाए गए—
- बिहार चुनाव और आठ अन्य राज्यों की उपचुनाव सीटों के इंडेक्स कार्ड 72 घंटे के भीतर जारी।
- सांख्यिकीय रिपोर्टों का पूरा सेट पांच दिनों में सार्वजनिक डोमेन में मुफ्त उपलब्ध।
यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने और शोधकर्ताओं व आम जनता के लिए चुनावी डेटा की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए।
तेजस्वी यादव के आरोप बेअसर
राजद नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव प्रक्रिया में धांधली, मतदाता सूची में गड़बड़ी और आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाया था। उन्होंने पहले चरण के मतदान के बाद लिंग-वार मतदाता आंकड़े जारी न होने को भी मुद्दा बनाया था।
लेकिन चुनाव आयोग ने सभी आरोपों को आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया है।