Monday, December 1

दो-दो पड़ोसियों से पंगा पाकिस्तान को करेगा नंगा! भारत ने चलाई ऐसी चाल, बदल जाएगा दक्षिण एशिया का समीकरण

नई दिल्ली। तालिबान शासन को यह भलीभांति समझ आ चुका है कि अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए भारत जैसी क्षेत्रीय शक्ति का सहयोग अनिवार्य है। यही वजह है कि काबुल और नई दिल्ली के बीच न सिर्फ नज़दीकियां बढ़ रही हैं, बल्कि दोनों देश जल्द ही सीधी हवाई मालवाहक सेवा शुरू करने जा रहे हैं। इस बड़े कदम ने पाकिस्तान की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि वह एक साथ भारत और अफगानिस्तान दोनों पड़ोसियों से दूरी बना बैठा है।

भारत-अफगानिस्तान की नई साझेदारी, पाकिस्तान की मुश्किलें दोगुनी

अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच हाल के महीनों में डूरंड लाइन पर संघर्ष तेज हुआ है। सीमा पार हमलों, सैनिकों की मौत और अस्थिर संघर्ष विराम ने दोनों देशों के रिश्ते खराब किए हैं। ऐसे माहौल में काबुल अब अपने व्यापार मार्गों को विविध बनाने और इस्लामाबाद पर निर्भरता कम करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है।

भारत के साथ नई एयर कार्गो सेवा इसी रणनीतिक बदलाव का हिस्सा है। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम न केवल पाकिस्तान के लिए झटका है, बल्कि भारत के लिए अफगानिस्तान में अपना दबदबा फिर मजबूत करने का अवसर भी है।

अफगानिस्तान को मिलेगा सीधा लाभ

अफगानिस्तान के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री नूरुद्दीन अजीज़ी की दिल्ली यात्रा के बाद मंगलवार को भारत ने एयर कार्गो सेवा शुरू करने की घोषणा की। इसके शुरू होते ही अफगानिस्तान से ताजे फल, सूखे मेवे और औषधीय जड़ी-बूटियों का भारत तक तेज़ और सुरक्षित परिवहन संभव होगा। अब तक जमीनी रास्तों में देरी और सुरक्षा जोखिमों के कारण व्यापार प्रभावित होता था।

चाबहार पोर्ट से खुलेगा नया व्यापार गलियारा

भारत और अफगानिस्तान ने अपने दूतावासों में वाणिज्यिक प्रतिनिधि नियुक्त करने और संयुक्त वाणिज्य एवं उद्योग मंडल बनाने पर सहमति जताई है। दोनों देश ईरान के चाबहार बंदरगाह का उपयोग बढ़ाकर व्यापार को और गति देंगे, जो पाकिस्तान को पूरी तरह बायपास कर देता है। पाकिस्तान के लिए यह एक और रणनीतिक नुकसान होगा।

काबुल-नई दिल्ली की बढ़ती दोस्ती से परेशान इस्लामाबाद

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान को आशंका है कि भारत-अफगानिस्तान की बढ़ती नज़दीकियां उसकी सामरिक स्थिति कमजोर कर देंगी। भारत और पाकिस्तान के बीच मई में हुई झड़प के बाद से तनाव और बढ़ा है। इस बीच काबुल का झुकाव भारत की ओर होना इस्लामाबाद को भीतर तक खटक रहा है।

भारत का लक्ष्य—क्षेत्र में स्थिरता और असुरक्षा पर लगाम

भारतीय राजनयिक संजीव कोहली के अनुसार, भारत की प्राथमिकता अफगानिस्तान में मानवीय सहायता और स्थिरता बनाए रखना है। हाल में आए भूकंपों के दौरान भारत ने तत्काल राहत भेजी। अब जब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्ते तेजी से बिगड़ रहे हैं, भारत नहीं चाहता कि अस्थिरता उसके दरवाजे तक पहुंचे।

तालिबान भी समझ चुका है भारत का महत्व

किंग्स कॉलेज लंदन के प्रोफेसर हर्ष पंत के अनुसार, तालिबान जानता है कि अफगानिस्तान के आर्थिक भविष्य के लिए भारत की भूमिका अपरिहार्य है। कनेक्टिविटी चुनौतियों के बावजूद भारत-अफगानिस्तान व्यापार में तेज़ी देखी जा रही है।

अफगानिस्तान में तेल-गैस और खनिज संपदा—भारत के लिए बड़ा अवसर

अफगान मंत्री अजीज़ी ने भारतीय कंपनियों को अफगानिस्तान में निवेश के लिए पांच साल की कर छूट और मुफ्त जमीन देने का प्रस्ताव रखा है। फिलहाल भारत-अफगानिस्तान व्यापार 1 अरब डॉलर है, लेकिन अफगानिस्तान की अपार खनिज, तेल और गैस क्षमता को देखते हुए यह राशि कई गुना बढ़ सकती है।

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