
लखनऊ, 28 नवंबर 2025 – उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सियासी जंग तेज हो गई है। योगी आदित्यनाथ सरकार में पशुपालन एवं दुग्ध विकास मंत्री व मेरठ जिले के प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह ने शनिवार को इस प्रक्रिया का जोरदार समर्थन किया और विपक्ष पर कड़ा प्रहार किया।
‘फर्जी और बाहरी वोटर सूची से हटेंगे’
मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर चल रही SIR प्रक्रिया लोकतंत्र को मजबूत करने का महत्वपूर्ण साधन है। उन्होंने दावा किया कि इस प्रक्रिया के बाद मतदाता सूची से ‘विदेशी घुसपैठियों’ और ‘फर्जी मतदाताओं’ के नाम हट जाएंगे, जिससे निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित होंगे।
विपक्ष पर हमला—‘अब पेट में दर्द हो रहा है’
मीडिया से बात करते हुए मंत्री ने विपक्षी दलों पर फर्जी मतदाता जोड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा
“कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के लोगों ने बड़ी संख्या में फर्जी वोटर बनवा रखे थे। SIR शुरू होते ही इन दलों के पेट में दर्द होने लगा है। प्रक्रिया पूरी होने पर इनके फर्जी वोट बाहर हो जाएंगे और विपक्ष का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।”
मंत्री ने यह भी दावा किया कि भाजपा 2027 के चुनाव में भी भारी बहुमत से वापसी करेगी।
लोकतंत्र के लिए SIR को अनिवार्य बताया
धर्मपाल सिंह ने कहा कि मतदाता सूची का शुद्धिकरण लोकतंत्र की पवित्रता बनाए रखने के लिए जरूरी है। सभी राजनीतिक दलों को इस प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए।
सपा का कड़ा विरोध—‘गरीबों और अल्पसंख्यकों के वोट काटे जा रहे’
दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने SIR पर गंभीर सवाल उठाए हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया के नाम पर बड़ी संख्या में गरीबों, पिछड़ों और अल्पसंख्यक समुदायों के वोट काटे जा रहे हैं। उन्होंने SIR की समयसीमा बढ़ाने की मांग की और कहा—
“बीएलओ की मौतों के लिए सरकार और आयोग जिम्मेदार हैं। मतदाता का सम्मान होना चाहिए, उसे परेशान नहीं किया जाना चाहिए।”
अखिलेश यादव ने आशंका जताई कि राज्य में करोड़ों लोगों के वोट काटे जाने का खतरा है और भाजपा सरकार वोट के अधिकार को कमज़ोर करने की कोशिश कर रही है।
क्या है SIR प्रक्रिया?
SIR यानी विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण के तहत राज्यभर में घर-घर जाकर मतदाता सूची की जांच की जाती है।
- मृत व्यक्तियों के नाम हटाए जाते हैं
- बाहर जा चुके लोगों की एंट्री समाप्त की जाती है
- फर्जी मतदाताओं की पहचान की जाती है
- नए पात्र मतदाताओं को सूची में जोड़ा जाता है
UP चुनाव 2027 से पहले यह प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। वर्तमान में प्रदेशभर में भरे हुए फॉर्म वापस लिए जा रहे हैं और जांच का काम लगातार जारी है।