Monday, December 1

कर्नाटक में सत्ता की रस्साकशी: सीएम की कुर्सी किसके पास जाएगी? सिद्धारमैया या डीके शिवकुमार — जानिए कांग्रेस के पास अभी कितने विधायक

बेंगलुरु। कर्नाटक में सत्ता के शीर्ष पद को लेकर कांग्रेस के भीतर चल रहा संघर्ष अब चरम पर पहुंच चुका है। 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद बने ढाई-ढाई साल वाले फॉर्मूले के अनुसार अब मुख्यमंत्री पद डीके शिवकुमार को सौंपने की चर्चा जोर पकड़ रही है। वहीं वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया साफ शब्दों में कह चुके हैं कि जनता ने उन्हें पूरे पांच साल का जनादेश दिया है। दोनों गुटों के समर्थक विधायकों की बयानबाजी से माहौल और गर्म हो गया है।

■ कांग्रेस के पास कितने विधायक हैं?

2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में 135 सीटें जीती थीं।
बाद के उपचुनावों में दो और सीटें जीतने के बाद कांग्रेस की कुल संख्या 137 विधायक हो गई।
यानी सत्ता का गणित फिलहाल कांग्रेस के पक्ष में है और मुख्यमंत्री पद को लेकर अंतिम फैसला विधायक दल और हाईकमान—दोनों पर निर्भर करता है।

दूसरी तरफ बीजेपी 2023 के चुनाव में 66 सीटों पर ही सिमट गई थी।

■ दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं डीके शिवकुमार समर्थक

सीएम पद को लेकर विवाद गहराने के बीच डीके शिवकुमार खेमे के कई विधायक पिछले दिनों दिल्ली में मौजूद थे।
इसी दौरान कांग्रेस विधायक इकबाल खान ने कहा—
“अच्छी खबर मिल गई है… मैंने हमेशा कहा था कि डीके शिवकुमार ही मुख्यमंत्री बनेंगे। मुझे 200 प्रतिशत भरोसा है।”
ऐसे बयान पूरे राज्य में राजनीतिक तापमान और बढ़ा रहे हैं।

■ “जनता ने पांच साल के लिए चुना”—सिद्धारमैया

दूसरी ओर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का कहना है कि वे अपने कार्यकाल के लिए जनता के आदेश पर चल रहे हैं।
उनका तर्क है कि सरकार को स्थिरता चाहिए और मुख्यमंत्री बदलने से विकास कार्य बाधित होंगे।
उनके समर्थक विधायक भी साफ कह चुके हैं कि “सिद्धारमैया पूरे पांच साल सीएम रहेंगे।”

■ खरगे बुलाएंगे बैठक, हाईकमान लेगा फैसला

सीएम की कुर्सी को लेकर जारी टकराव के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गुरुवार को कहा कि वह शीर्ष नेतृत्व की एक बैठक बुलाएंगे।
खरगे ने कहा—
“दिल्ली पहुंचने के बाद 3–4 शीर्ष नेताओं के साथ बैठक कर स्थिति स्पष्ट करेंगे। बेवजह की कन्फ्यूजन खत्म की जाएगी।”

■ आगे क्या?

कर्नाटक की राजनीति में यह tussle अब पूरी तरह से हाईकमान के पास पहुंच चुकी है।
सवाल यह है कि कांग्रेस 2023 के तय फॉर्मूले पर चलेगी या फिर वर्तमान नेतृत्व को ही पूरे पांच साल देगी।

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