
आजकल के रिश्ते छोटी-छोटी बातों पर जल्दी उलझ जाते हैं। कभी ईगो, कभी जलन, तो कभी प्राथमिकताओं का अंतर—इन सब कारणों से गलतफहमियां बढ़ती हैं और रिश्ते कमजोर पड़ते हैं। ऐसे समय में समझदारी और खुली बातचीत ही रिश्तों को मजबूत बनाए रखने का सबसे आसान तरीका है। इसी विषय पर अभिनेता परेश रावल ने राज श्मानी के इंटरव्यू में अपनी जिंदगी से एक दिलचस्प उदाहरण साझा किया।
परेश रावल ने बताया अपना अनुभव
राज श्मानी ने सवाल किया कि अगर रिश्ते में एक पार्टनर ज्यादा सफल हो और दूसरा पीछे रह जाए, तो क्या यह रिश्ते के लिए खतरा है। इस पर परेश रावल ने कहा कि उनकी कहानी में यह उल्टा रहा।
उन्होंने बताया, “वो कैथेड्रल की लड़की थी और मैं पारला का मिडिल क्लास का बंदा। वो मिस इंडिया थी और मैं फिल्मों में नया था। पैसे की बात कभी मुद्दा नहीं बनी। मैं उससे पैसे लेकर जाता था, लेकिन कभी कोई ईगो बैटल नहीं हुई। किसी ने यह जताने की कोशिश भी नहीं की कि ‘मैं तुझे पैसे देती हूँ’। यही समझ और भरोसा हमें साथ रखता रहा।”
एक पार्टनर के कामयाब होने पर क्यों होती हैं लड़ाइयां
जब रिश्ते में एक पार्टनर ज्यादा सफल हो जाता है, तो तुलना की भावना बढ़ जाती है। सफल पार्टनर सोचता है कि दूसरा उसे नहीं समझ रहा, जबकि कम सफल पार्टनर डरता है कि कहीं वह कमजोर न पड़ जाए। समय न देना, ध्यान की कमी और बदलती प्राथमिकताएं गलतफहमियों को जन्म देती हैं।
रिश्ते को संतुलित रखने के टिप्स
- ईमानदारी से बातचीत करें: अपनी भावनाएं बिना आरोप के साझा करें।
- सफल पार्टनर को समझना चाहिए: दूसरे की मेहनत और प्रयासों का सम्मान करें।
- कम सफल पार्टनर को भरोसा रखें: खुद पर भरोसा और आत्मविश्वास बनाएं।
- छोटी-छोटी बातों की सराहना करें: एक-दूसरे के समय और प्रयास की कद्र करें।
- लक्ष्य और बाउंड्री तय करें: टीम की तरह काम करें और जरूरत पड़ने पर सीमाएं तय करें।
लड़ाई होने पर कैसे बचें
अगर तकरार हो जाए, तो पहले खुद को शांत करें। गुस्से में कही बातें रिश्ते को और कमजोर कर सकती हैं। बातचीत शुरू करने से पहले सुनें, अपनी बात साझा करें। आरोप लगाने के बजाय “मुझे ऐसा फील हुआ” जैसी भाषा का प्रयोग करें। जरूरत पड़े तो थोड़ा ब्रेक लें और समस्या पर नहीं, समाधान पर ध्यान दें।
निष्कर्ष:
रिश्ते में ईगो और जलन के बजाय समझ, भरोसा और सहयोग सबसे महत्वपूर्ण हैं। परेश रावल की कहानी यही सिखाती है कि एक-दूसरे का सम्मान और छोटी-छोटी बातों में अपनापन ही रिश्तों को लंबा और मजबूत बनाता है।