
ठाणे जिले के मुंब्रा स्टेशन के पास 9 जून को हुए दर्दनाक ट्रेन हादसे के मामले में अब रेलवे के इंजीनियरों पर बड़ी कार्रवाई की गई है। इतिहास में पहली बार, राजकीय रेलवे पुलिस (GRP) ने रेलवे के दो इंजीनियरों के खिलाफ लापरवाही से मौत का मामला दर्ज किया है।
यह घटना दिवा और मुंब्रा स्टेशनों के बीच हुई थी, जिसमें चार यात्रियों की मौत हो गई थी और नौ अन्य घायल हुए थे। जांच में पाया गया कि हादसे से पहले रेलवे अधिकारियों को पटरियों के नीचे गिट्टी खिसकने का अलर्ट मिला था, लेकिन चेतावनी को नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
इंजीनियरों पर गंभीर आरोप
दर्ज एफआईआर में सहायक मंडल अभियंता विशाल डोलास और वरिष्ठ अनुभाग अभियंता समर यादव को मुख्य आरोपी बनाया गया है।
इन पर आरोप है कि—
- उन्होंने मुंब्रा स्टेशन अधिकारियों द्वारा भेजे गए सुरक्षा अलर्ट को अनदेखा किया,
- मरम्मत कार्य में देरी की,
- और पटरियों को असुरक्षित स्थिति में छोड़ दिया।
इसी लापरवाही के चलते यह हादसा हुआ, जिसमें कई परिवारों ने अपने प्रियजनों को खो दिया।
9 जून को क्या हुआ था
9 जून की दोपहर, जब दो लोकल ट्रेनें एक तीखे मोड़ पर एक-दूसरे के पास से गुजर रहीं थीं, तब फुटबोर्ड पर लटक रहे यात्री आपस में टकरा गए और पटरियों पर गिर पड़े।
चार लोगों की मौके पर मौत हो गई, जबकि नौ घायल हुए।
सीएसएमटी डिवीजन के एसीपी एस. शिरसाट के नेतृत्व में गठित जांच टीम ने पाया कि यह हादसा इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही का परिणाम था।
जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
जांच में सामने आया कि जिस स्थान पर दुर्घटना हुई, वहां पटरियों के नीचे एक पुलिया थी, जो भारी बारिश के दौरान उफन गई थी। इससे गिट्टी बह गई और प्लेटफॉर्म 4 का एक हिस्सा धंस गया।
मुंब्रा स्टेशन अधिकारियों ने तुरंत इंजीनियरिंग विभाग को सूचित किया, लेकिन समय रहते कोई कदम नहीं उठाया गया।
जांच में यह भी पाया गया कि उस हिस्से पर उच्च गति सीमा (speed limit) भी दुर्घटना का एक कारण बनी।
2022 से पहले यह ट्रैक “धीमा कॉरिडोर” था, लेकिन बाद में इसे तेज़ ट्रेनों के लिए खोला गया और गति बढ़ा दी गई थी।
हादसे के बाद रेलवे ने अब इन लाइनों पर गति सीमा घटाकर—
- लाइन 3: 50 किमी/घंटा,
- लाइन 4: 30 किमी/घंटा कर दी है।
रेलवे और पुलिस के निष्कर्षों में विरोधाभास
दिलचस्प बात यह है कि मध्य रेलवे की आंतरिक जांच रिपोर्ट ने दावा किया कि “दोनों ट्रेनें एक-दूसरे से नहीं टकराईं।”
लेकिन रेलवे पुलिस ने इस निष्कर्ष को खारिज करते हुए कहा है कि फोरेंसिक साक्ष्य और चश्मदीद बयान इससे उलट हैं।
अब GRP ने सेवानिवृत्त रेलवे इंजीनियरों और फोरेंसिक विशेषज्ञों की मदद से अपनी रिपोर्ट को मज़बूत करने की तैयारी की है।
आगे की कार्रवाई
पुलिस ने अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की है, लेकिन दोनों अभियंताओं को मुख्य आरोपी बनाया गया है।
अधिकारियों का कहना है कि यदि सबूत पर्याप्त मिले, तो आगे और रेलवे अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जाएगी।
🚉 ठाणे ट्रेन हादसा न केवल एक त्रासदी, बल्कि रेलवे प्रशासन के लिए एक ऐतिहासिक चेतावनी बन गया है।
यह पहली बार है जब सिस्टम की लापरवाही पर खुद रेलवे इंजीनियरों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है — ताकि भविष्य में कोई चेतावनी अनसुनी न रह जाए।