
चमोली। उत्तराखंड के चमोली जिले की नीती घाटी में तमक नाले के पास धौलीगंगा नदी पर बनी अस्थायी झील को लेकर खतरे की आशंका के बीच प्रशासन ने राहतभरा कदम उठाया है। शनिवार से झील का जल प्रवाह सामान्य करने का कार्य शुरू कर दिया गया है। यह झील कुछ माह पहले आई बाढ़ के बाद नदी में जमा मलबे के कारण बनी थी, जिसने नदी के प्राकृतिक बहाव को आंशिक रूप से अवरुद्ध कर दिया था।
आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, झील के मुहाने से मलबा हटाने और पानी के दबाव को नियंत्रित करने के लिए अर्थमूवर मशीनें तैनात की गई हैं। वर्तमान में नदी का जल प्रवाह लगभग 15 मीटर चौड़े हिस्से में हो रहा है, जिसे बढ़ाकर 30 मीटर तक करने का काम जारी है। इससे झील के आकार को घटाने और संभावित खतरे को टालने में मदद मिलेगी।
रिपोर्टों के मुताबिक, धौलीगंगा में बनी यह झील करीब 300 मीटर लंबी, 60 मीटर चौड़ी और लगभग 3 मीटर गहरी है। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूगर्भ विज्ञान विभाग के डॉ. महेंद्र प्रताप सिंह बिष्ट की टीम ने हाल ही में नीती घाटी का दौरा कर इस झील को संभावित आपदा का कारण बताते हुए सावधानी बरतने की सलाह दी थी।
चमोली के जिलाधिकारी गौरव कुमार ने बताया कि विशेषज्ञों की टीम लगातार झील की स्थिरता, जलस्तर और दबाव का आकलन कर रही है। उन्होंने कहा कि झील की स्थिति पर नियमित निगरानी रखी जा रही है और जरूरत पड़ने पर नियंत्रित जल निकासी की व्यवस्था भी की जाएगी।
स्थानीय प्रशासन का कहना है कि अभी स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन मौसम में बदलाव या भारी वर्षा की स्थिति में आपदा प्रबंधन दल को अलर्ट मोड पर रखा गया है।
इस कार्रवाई के साथ ही एक बड़ा खतरा टल गया है, जो कभी भी नीचे बसे गांवों और तमक क्षेत्र के लिए विनाशकारी साबित हो सकता था। प्रशासन ने क्षेत्रवासियों से अपील की है कि अफवाहों पर ध्यान न दें और किसी भी असामान्य गतिविधि की सूचना तुरंत स्थानीय अधिकारियों को दें।