
पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद अचानक तीन लाख मतदाताओं की बढ़ोतरी को लेकर उठे सवालों पर अब चुनाव आयोग ने आधिकारिक स्पष्टीकरण जारी कर दिया है। विपक्ष जहां बड़े पैमाने पर वोट चोरी और धांधली का आरोप लगा रहा था, वहीं आयोग ने साफ किया है कि ये वृद्धि पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया के तहत हुई है।
फाइनल लिस्ट थी 7.42 करोड़ मतदाताओं की
चुनाव आयोग ने बताया कि 30 सितंबर को विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद जारी अंतिम मतदाता सूची में कुल 7.42 करोड़ मतदाता शामिल थे।
6 अक्टूबर को भी यही आधिकारिक संख्या सार्वजनिक की गई थी।
फिर कैसे बढ़े तीन लाख वोटर? आयोग ने बताया कारण
आयोग के अनुसार, चुनावों की घोषणा के बाद भी नियमों के तहत पात्र नागरिक अपना नाम मतदाता सूची में जोड़ने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
नियमों के अनुसार—
- नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से 10 दिन पहले तक
- हर चरण के लिए अलग-अलग
- वैध आवेदनों की जांच के बाद योग्य मतदाताओं के नाम जोड़े जाते हैं
इन्हीं आवेदनों के आधार पर एक अक्टूबर से अगले 10 दिनों के भीतर प्राप्त सभी योग्य नाम सूची में शामिल किए गए।
यही वजह रही कि मतदाता संख्या में लगभग तीन लाख की वृद्धि दर्ज की गई।
आयोग ने बताया कि मतदान के बाद जारी प्रेस विज्ञप्ति में इस संशोधित संख्या का उल्लेख भी किया गया था।
वोट चोरी के आरोपों पर आयोग का जवाब
कांग्रेस और राजद सहित विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा था कि तीन लाख नए नाम “वोट चोरी” की तरफ इशारा करते हैं।
सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे ने खूब तूल पकड़ा।
लेकिन, आयोग ने साफ कहा कि—
✔️ वृद्धि पूरी तरह नियमों के अनुसार
✔️ सभी आवेदन वैधता की जांच के बाद
✔️ कोई भी पात्र नागरिक मतदान से वंचित न रहे, इसलिए नाम जोड़े गए
चुनाव परिणाम और राजनीतिक परिदृश्य
हाल ही में घोषित परिणामों में एनडीए ने भारी जीत दर्ज की—
- 243 में से 202 सीटें
वहीं राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन को केवल 35 सीटें मिलीं।
2020 में 75 सीटें जीतने वाली राजद इस बार 25 सीटों पर सिमट कर तीसरे स्थान पर चली गई।