Monday, November 17

कौन हैं ब्रह्मर्षि कुमार स्वामी? प्रेमानंद महाराज के आश्रम में हुई दुर्लभ मुलाकात, रामायण की चौपाई से हुआ स्वागत

मथुरा: आध्यात्मिक जगत की दो प्रतिष्ठित विभूतियों— जगद्गुरु महाब्रह्मर्षि कुमार स्वामी और संत प्रेमानंद महाराज—की विशेष भेंट वृंदावन के श्री हित राधा केलि कुंज आश्रम में हुई। बीज मंत्रों के माध्यम से लाखों लोगों को रोगमुक्त करने के लिए प्रसिद्ध कुमार स्वामी इस मुलाकात के दौरान मौन-व्रत में थे, जिसके चलते उनके प्रश्न शिष्यों द्वारा पूछे गए। दोनों संतों के बीच मंत्रशक्ति, संत परंपरा और भगवत-प्राप्ति के मार्ग पर विस्तृत आध्यात्मिक संवाद हुआ।

रामायण की चौपाई बोलकर किया स्वागत

कुमार स्वामी के आगमन पर प्रेमानंद महाराज ने ‘जो प्रभु मोह अनुग्रह की ना…’ चौपाई का पाठ कर उनके प्रति गहरी श्रद्धा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ईश्वर की प्रेरणा के बिना ऐसा दिव्य मिलन संभव नहीं। इस भेंट को उन्होंने “विशेष कृपा” बताया।

मंत्रों और संत-शक्ति पर विस्तृत चर्चा

सत्संग के दौरान प्रेमानंद महाराज ने कहा कि संत अपने चित्त को निरंतर भगवान में स्थित रखते हैं, इसलिए मंत्र शक्ति उनके अधीन होती है। संत जब चाहें किसी मंत्र को जागृत कर सकते हैं और उसके अधिष्ठात्री देवता को साधना के बल से प्रभावित कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि—“भगवत राज्य में संतों की महिमा इसलिए गाई गई है क्योंकि उनके पास वह शक्तियाँ हैं जो देवताओं तक को प्रभावित कर सकती हैं।”

स्वास्थ्य, साधना और आध्यात्मिक बल

सत्संग में उपस्थित लोगों ने कुमार स्वामी की बीज-मंत्र साधना और उनके द्वारा करोड़ों लोगों को रोगमुक्त करने के अभियानों का उल्लेख किया।
कुमार स्वामी की ओर से प्रेमानंद महाराज के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई गई, जिस पर महाराज ने मुस्कुराते हुए कहा—
“शरीर कष्ट में हो सकता है, परंतु साधना और संत-शक्ति के कारण मन और आत्मा प्रभावित नहीं होते। मैं पूर्णतः स्वास्थ्य अनुभव करता हूँ।”

कौन हैं ब्रह्मर्षि कुमार स्वामी?

आध्यात्मिक जगत में जगद्गुरु महाब्रह्मर्षि श्रीकुमार स्वामी को अत्यंत सम्मान प्राप्त है।
उन्हें—

  • महाब्रह्मर्षि,
  • महामंडलेश्वर,
  • और हाल ही में तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा द्वारा जगद्गुरु की उपाधि दी गई है।

उनका जीवन वेद, मंत्र और ऋचाओं के शोध तथा मानव कल्याण को समर्पित रहा है। बीज मंत्रों पर उनके शोध के आधार पर उन्हें ‘ब्रह्म ऋषि’ की उपाधि दी गई थी। कहा जाता है कि उनके द्वारा दिए गए बीज मंत्रों ने लाखों-करोड़ों लोगों को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक कष्टों से मुक्ति दिलाई है।

प्रेमानंद महाराज की प्रशंसा–“यह मिलन ईश्वरीय कृपा का परिणाम”

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि कुमार स्वामी जैसे तपस्वी का आश्रम में आगमन किसी आशीर्वाद से कम नहीं।
उन्होंने इसे संत परंपरा के कल्याणकारी उद्देश्य का एक महत्वपूर्ण अध्याय बताया।

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