Tuesday, December 2

गाजियाबाद में सांस लेना हुआ मुश्किल: AQI 400 पार, हवा जहरीली — ग्रेप-3 लागू, हालात बेकाबू

गाजियाबाद: दिल्ली-एनसीआर की जहरीली हवा में अब उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद सबसे आगे निकल गया है। शहर के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पार पहुंच गया है, जिससे पूरा इलाका मानो गैस चेंबर में तब्दील हो गया है। आसमान में छाई धुंध और हवा में घुलता धुआं अब लोगों की सांसों पर भारी पड़ने लगा है।

🔹 गाजियाबाद में प्रदूषण का कहर

वसुंधरा, लोनी और संजय नगर जैसे इलाकों में वायु गुणवत्ता बेहद गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई।

  • वसुंधरा: AQI 401
  • लोनी: AQI 412
  • संजय नगर: AQI 351
  • इंदिरापुरम: AQI 300+

सुबह के समय धुंध इतनी घनी होती है कि सूरज की किरणें तक जमीन तक नहीं पहुंच पातीं। सड़कों पर दोपहिया वाहन चालकों को आगे देखना मुश्किल हो रहा है। लोग मास्क लगाकर भी खांसी, गले में जलन और आंखों में चुभन से परेशान हैं।

🔹 डॉक्टरों ने दी सख्त चेतावनी

शहर के अस्पतालों में सांस, गले और आंखों की जलन से पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण का स्तर अगर इसी तरह बना रहा, तो

  • अस्थमा और फेफड़ों के संक्रमण,
  • दिल से जुड़ी बीमारियाँ,
  • और बच्चों-बुजुर्गों में स्वास्थ्य जोखिम और बढ़ जाएंगे।

डॉक्टरों ने नागरिकों से अपील की है कि सुबह की सैर या आउटडोर गतिविधियों से फिलहाल परहेज करें। कई परिवारों ने अब घरों में एयर प्यूरीफायर और N-95 मास्क को जीवनरक्षक उपकरण की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।

🔹 प्रशासन ने लागू किया GRAP-3

बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए जिलाधिकारी ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP-3) लागू कर दिया है। इसके तहत—

  • सभी खुले निर्माण कार्यों पर रोक,
  • 10 साल पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध,
  • और सार्वजनिक स्थानों पर कचरा जलाने पर पूर्ण रोक के आदेश जारी किए गए हैं।

हालांकि, लोगों का कहना है कि नियम तो बने हैं पर अमल कमजोर है। जगह-जगह धूल उड़ रही है, कूड़ा जलाया जा रहा है और प्रदूषण नियंत्रण की व्यवस्थाएं नाकाफी हैं।

🔹 “धुएं का शहर” बनता जा रहा गाजियाबाद

स्थानीय नागरिकों ने कहा कि प्रशासन की लापरवाही से गाजियाबाद धीरे-धीरे “धुएं का शहर” बनता जा रहा है। बढ़ते प्रदूषण ने न केवल सांस लेना मुश्किल कर दिया है, बल्कि बच्चों और बुजुर्गों की सेहत के लिए भी बड़ा खतरा पैदा कर दिया है।

“हवा में जहर घुल चुका है, अब सिर्फ नियम नहीं, सख्त अमल की जरूरत है।” — एक स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ता

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