Thursday, November 13

मोहन भागवत का जयपुर दौरा: सत्ता-संगठन और प्रशासन के समीकरणों पर रहेगी नजर

जयपुर: राजस्थान की राजनीति में अचानक तापमान बढ़ गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत चार दिवसीय प्रवास के लिए राजधानी जयपुर पहुंचे हैं। उनका दौरा संघ के शताब्दी वर्ष की तैयारियों से जुड़ा है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे सत्ता-संगठन और प्रशासन के समीकरणों की दृष्टि से भी देखा जा रहा है।

राजनीति में गर्माहट
भागवत बुधवार शाम मुंबई से इंडिगो की फ्लाइट से जयपुर पहुंचे। उनका यह प्रवास 13 से 16 नवंबर तक चलेगा। राजधानी में उनकी मौजूदगी ने भाजपा संगठन से लेकर राज्य सरकार तक हलचल पैदा कर दी है। मुख्यमंत्री भवन और भाजपा कार्यालय में चर्चा है कि इस दौरे में कौन-कौन ‘दरबार में हाजिरी’ देगा।

मुख्य सचिव का तबादला और सस्पेंस
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मंगलवार को राज्य सरकार ने मुख्य सचिव का अचानक तबादला कर सुंधाश पंत को दिल्ली भेजा, लेकिन नए मुख्य सचिव का नाम अभी घोषित नहीं हुआ। इसी बीच संघ प्रमुख का जयपुर आगमन राजनीतिक सस्पेंस और सरगर्मी को और बढ़ा रहा है।

कौन मिलेगा भागवत से?
भागवत के दौरे को लेकर अभी स्पष्ट नहीं है कि वे मुख्यमंत्री, मंत्रियों या भाजपा नेताओं से मुलाकात करेंगे या नहीं। फिर भी, सत्ता, संगठन और प्रशासन के बड़े चेहरे जयपुर में मौजूद हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षक मान रहे हैं कि संघ प्रमुख की यह उपस्थिति कई संकेत और संदेश छोड़ेगी, खासकर जब राज्य में सत्ता-संगठन तालमेल और प्रशासनिक फेरबदल की चर्चाएं जोरों पर हैं।

संघ का प्रभाव और सियासी संदेश
राजस्थान में लंबे समय बाद संघ की टॉप लेवल गतिविधि दिखाई दे रही है। पिछले महीनों में सरकार-संगठन और प्रशासनिक तंत्र के बीच ‘साइलेंट टसल’ की खबरें आई थीं। अब भागवत का यह प्रवास इन फासलों को कम करेगा या नए सियासी संदेश देगा, यह आने वाले चार दिन तय करेंगे।
सारांश में, मोहन भागवत का जयपुर प्रवास राजधानी की सियासत में सर्दी के बीच तपिश बढ़ा गया है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगले चार दिन राजस्थान में संघ, सत्ता-संगठन और प्रशासन का समीकरण नया मोड़ लेने को तैयार दिख रहा है।

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